कल सुबह 11 बजे नवनियुक्त राज्यपाल लालजी टंडन का शपथ ग्रहण समारोह था। हम करीब सवा दस बजे राजभवन स्थित राजेंद्र मंडप में पहुंच चुके थे। इसी हॉल में शपथ दिलायी जानी थी। मीडिया दीर्घा में बैठे थे कि राजभवन में कार्यरत एक साथी से मुलाकात हो गयी। बातचीत शुरू हुई। हमने कहा कि कितने साल बाद राजभवन में पूर्णकालिक ब्राह्मण राज्यपाल आये हैं। उस साथी ने कहा कि नये राज्यपाल ब्राह्मण नहीं हैं। हमने आज की स्टोरी ब्राह्मण एंगल से प्लान किया था। लेकिन इस सूचना के बाद स्टोरी भी ‘किल’ हो गयी।
अनुसूचित जाति से आते हैं सत्यनारायण आर्य व बेबीरानी मौर्य
वीरेंद्र यादव
शपथ ग्रहण के बाद बिहार भाजपा के सूत्रों से राज्यपाल की जाति के संबंध में जानकारी हासिल करने की कोशिश की, लेकिन कुछ खास हाथ नहीं लगा। बिहार भाजपा के संगठन महामंत्री नागेंद्र जी लखनऊ के ही हैं और राज्यपाल के काफी नजदीक रहे हैं। लेकिन नागेंद्र जी से फोन पर जाति के संबंध में जानकारी हासिल करना संभव नहीं था। हमने अपने लखनऊ के भाजपा व गैरभाजपा सूत्रों से जानकारी हासिल करने की कोशिश की। इस कोशिश में राज्यपाल के काफी करीबी एक ‘राष्ट्रवादी’ साथी ने पहले भाषण दिया और फिर बताया कि टंडन जी, खत्री जाति से आते हैं और इस जाति की आबादी यूपी में बहुत कम है। एक अन्य साथी ने भी इसकी पुष्टि की। गूगल सर्च के अनुसार, खत्री व्यवसायी जाति है यानी बनिया कम्युनिटी। उत्तर प्रदेश में बनिया अनारक्षित जातियों में शामिल हैं।
हाल ही में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने सात राज्यपालों की नियुक्ति की अधिसूचना जारी की थी, इनमें चार राज्यपालों का स्थानांतरण हुआ था। बिहार के राज्यपाल सत्यपाल मलिक को जम्मू-कश्मीर को भेजा गया, जबकि कप्तान सिंह सोलंकी को हरियाणा से त्रिपुरा, तथागत राय को त्रिपुरा से मेघालय और गंगा प्रसाद को मेघालय से सिक्किम भेजा गया है। राज्यपालों के नये राज्य में भेजे जाने पर नयी नियुक्ति मानी जाती है, स्थानांतरण नहीं।
लेकिन जिन राज्यपालों को पहली बार राजभवन में भेजा गया है, उनमें से दो अनुसूचित जाति के हैं। बिहार सरकार में कई बार मंत्री रहे सत्य नारायण आर्य को हरियाणा का राज्यपाल बनाया गया है, वे रविदास जाति से आते हैं। जबकि यूपी निवासी बेबीरानी मौर्य को उत्तराखंड का राज्यपाल बनाया गया है। वे जाटव जाति से संबंध रखती हैं। बेबीरानी मौर्य आगरा नगर निगम की मेयर भी रह चुकी हैं। बिहार के राज्यपाल लालजी टंडन यूपी सरकार में कई बार मंत्री रह चुके हैं और एक बार लोकसभा के लिए निर्वाचित हुए थे। उन्हें पहली बार राज्यपाल बनाया गया है।