कश्मीर के विशेष दर्जे पर भाजपा ने फिर बवाल मचाया है पर क्या उसे नहीं पता कि असम, मणिपुर, नागलैंड समेत कई राज्यों को विशेष दर्जा मिला है और खुद उसके नेता श्यामा प्रसाद मुखर्जी इसके पक्षधर थे?
रिजवान अहमद
भाजपा शुरू से ही संविधान के अनुच्छेद 370 का विरोध करती आई है जिस पर संघ परिवार की भी सहमति है.भाजपा ने अपनी स्थापना के समय से ही आरएसएस के इशारे पर हिन्दू महासभा का तीन सूत्री एजेंड़ा धारा 370 की समाप्ति, समान नागरिक संहिता और अयोध्या मे मंदिर निर्माण का अपहृत कर अपनी राजनीतिक गोटियां बिछाना आरम्भ कर दिया था.
किंतु आपको याद होगा की जब 1999 में जब भाजपा केंद्र की सत्ता में आई तो अपनी सरकार चलाने के लिए सबसे पहले तीन सूत्री एजेंडे को दरकिनार और अन-देखा कर दिया था, जिसका अर्थ था कि न मंदिर बनेगा, न अनुच्छेद 370 समाप्त होगी और न समान नागरिक संहिता लागू होगी.
भाजपा के वजूद में आने से पहले आरएसएस की राजनीतिक इकाई भारतीय जनसंघ के संस्थापक श्यामाप्रसाद मुखर्जी ने भी जम्मू एवं कश्मीर को अनुच्छेद 370 के आधार पर विशेष दर्जा देने को लेकर पूरी सहमति जताई थी, श्यामाप्रसाद मुखर्जी वही हैं जिन की भाजपा बिना अपवाद के दुहाई देती रहती हैं.
और साथ ही भाजपा जिस सरदार वल्लभ भाई पटेल के गुण-गान करती रहती हैं उन्होंने भी अपने श्वेत पत्र में अनुच्छेद 370 से अपनी पूरी सहमति जतायी थी.
पुष्टी के लिए ए जी नूरानी जैसे संविधान के जानकार एवं प्रख्यात कानूनविद द्वारा विभिन्न दस्तावेजों के सहारे लिखी गयी पुस्तक “आर्टिकल 370 : ए कान्स्टिटयूशनल हिस्टरी आफ जम्मू एण्ड कश्मीर” पढ़ा जा सकती है.
पुस्तक दस्तावेजों के विपुल भण्डार के जरिए इस तथ्य को भी उजागर करती है कि अनुच्छेद 370, जो प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और शेख अब्दुल्ला के बीच चली बातचीत पर तैयार की गयी, उसे सरदार पटेल एवं श्यामाप्रसाद मुखर्जी दोनों की पूरी सहमति थी.
सरदार वल्लभ भाई पटेल से मोदी की वह बात याद आ गई जो उन्होंने अपनी ललकार रैली में कही थी कि “पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने कहा था कि समय के साथ अनुच्छेद 370 समाप्त होगा.क्या कांग्रेस नेहरू के बयान के साथ होगी मैं प्रधानमंत्री से पूछना चाहता हूं?”
कांग्रेस को जवाहिरी पाठ पढ़ानेवाले मोदी ने सरदार का श्वेत पत्र नहीं पढ़ा क्या? आखिर क्या कारण था कि सरदार के पत्र को अन-देखा कर के नेहरू, जिन की आलोचना कर के थकते नहीं उन के चरणो में पड़ने की आवश्यक्ता पडी?
इन राज्यों के विशेष दर्जे पर क्यों चुप है भाजपा
एक और बात ये लोग केवल अनुच्छेद 370 पर ही क्यो बवाल मचाते रहते जब की दूसरे राज्यों को भी विशेष राज्य का दर्जा प्राप्त हैं वहाँ तो उन्हें सांप सुघ जाता हैं जैसे
(1) अनुच्छेद 371 के अंतर्गत गुजरात और महाराष्ट्र को विशेष राज्य का दर्जा प्राप्त हैं ।
(2) अनुच्छेद 371 ए ,के अंतर्गत नागालैंड को विशेष राज्य का दर्जा प्राप्त हैं ।
(3 अनुच्छेद 371 बी के अंतर्गत असम को विशेष राज्य का दर्जा प्राप्त हैं ।
(4) अनुच्छेद 371 सी के अंतर्गत मणिपुर को विशेष राज्य का दर्जा प्राप्त हैं ।
(5) अनुच्छेद 371 डी और 371 ई के अंतर्गत आंध्रप्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा प्राप्त हैं ।
(6 अनुच्छेद 371 एफ के अंतर्गत सिक्किम को विशेष राज्य का दर्जा प्राप्त हैं.
(7 अनुच्छेद 371जी के अंतर्गत मिजोरम को विशेष राज्य का दर्जा प्राप्त हैं ।
(8) अनुच्छेद 371 एच के अंतर्गत अरूणाचल प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा प्राप्त है.
(9) अनुच्छेद 371 आई के अंतर्गत गोवा को विशेष राज्य का दर्जा प्राप्त है.
और आखिर में, संविधान विशेषज्ञ डा. सुभाष सी कश्यप की बात पर ध्यान दिजीये ” अनुच्छेद 370 ही जम्मु और कश्मीर को भारत से जोडे रखता है यदि इसे समाप्त कर दिया जाये तो वापिस 1953 की स्थिति बन जायेगी.” यानी जिस करार के साथ जम्म कश्मीर भारत का अंग बना, अगर यह खत्म हो जाये तो वह भारत का अंग रहेगा ही नहीं.
रिजवान अहमद गोधरा में रहते हैं और सामाजि संस्था तंजीम उल मुस्लेमीन से जुड़े हैं. उनसे [email protected] पर सम्पर्क किया जा सकता है
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