भाजपा के कार्यकर्ता समागम की खबरों को पटना के हिंदी अखबारों ने व्यापक कवरेज दिया है जबकि प्रभात खबर ने तो इस कार्यक्रम को सर आंखों पर बिठाते हुए न सिर्फ जागरण को भी पीछे छोड़ा बल्कि तीन विशेष पेज समर्पित कर दिया.
नकरशाही डेस्क
आम तौर पर जागरण को भाजपा की पक्षधरता वाला अखबार माना जाता है. इस बात का प्रमाण हालांकि अखबार ने अपने सात कॉलम के कवरेज से दिया है लेकिन इस बार के कवरेज की दौड़ में प्रभात खबर ने उसे भी मात दे दी है.
वहीं दूसरी तरफ दैनिक भास्कर और हिंदुस्तान ने संतुलन दिखाते हुए इस खबर को अपने मुख्य पेज पर छह कॉलम में जगह दी है. लेकिन हिंदुस्तान ने इस कार्यक्रम की उस महत्वपूर्ण खबर को पेज एक से गायब कर दी है जिसके चर्चे इस रैली में सबसे ज्यादा हुए. यह खबर थी भाजपा के वरिष्ठतम नेताओं में से एक और बक्सर के सांसद अश्विनी कुमार चौबे को मंच पर चढ़ने तक नहीं दिया जाना.
गंभीर पाठक सवाल कर सकते हैं कि क्या हिंदुस्तान इस महत्वपूर्ण मगर विवादित खबर को प्रमुखता न दे कर क्या भाजपा के अंदर के विवाद की आंच को धीमा करना चाहा है?.जबकि दैनिक भास्कर, प्रभात खबर और जागरण ने मेन पेज पर साफ लिखा है कि भाजपा के सांसद शत्रुघ्न सिन्हा को आमंत्रित ही नहीं किया गया जबकि अश्विनी चौबे को मंच पर चढ़ने तक नहीं दिया गया. हालांकि हिंदुस्तान ने इस खबर को स्पेशल पेज पर जगह दी है
तमाम अखबारों ने भाजपा के इस समागम के खबर को स्पेशल कवरेज देते हुए एक विशेष पेज भी समर्पित किये हैं लेकिन प्रभात खबर ने इस कार्यक्रम को तो सर आंखों पर ही बिठा लिया है. उसने स्पेशल कवरेज के रूप में एक या दो नहीं बल्कि तीन पेज समर्पित कर दिये हैं.
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