विधान सभा उपचुनाव में पार्टी के प्रदर्शन से चिंतित भाजपा ने अपना चेहरा बदलने की कोशिश में जुट गयी है। इस काम में सबसे आगे रहे विधानमंडल दल के नेता सुशील कुमार मोदी। सोमवार को उपचुनाव के परिणाम आने के बाद मंगलवार को आयोजित सुशील मोदी के जनता दरबार का स्वरूप बदला हुआ था। अब तक के दरबारों में भाजपा नेता सुधीर शर्मा सुशील मोदी के साथ नजर आते थे। लेकिन मंगलवार के दरबार में एक नया चेहरा नजर आया। दरबार में पहली बार दिखे थे योगेंद्र पासवान। योगेंद्र पार्टी के प्रवक्ता हैं और वह बिहार अनुसूचित जाति आयोग के उपाध्यक्ष रह चुके हैं। वह भी मोदी के बगल में बैठे थे।
बिहार ब्यूरो
उपचुनाव की आधी सीटों पर सवर्णों का कब्जा
‘डीएमवाई’ ने दी मांझी को नयी ताकत
सुशील मोदी के जनता दरबार में योगेंद्र पासवान की उपस्थिति इस बात का संकेत है कि पार्टी अब अपना चेहरा बदलने को तैयार है। लोकसभा चुनाव के दौरान नरेंद्र मोदी ने भी एक सभा में कहा था कि भाजपा अब ब्राह्मण –बनियों की पार्टी नहीं रही। सुमो ने आज इस बात पर भी जोर दिया कि सामाजिक न्याय की पार्टी होने का दावा करने वाले गठबंधन में छह में चार सवर्ण जाति के विधायक जीते हैं और भाजपा के चार में तीन गैरसवर्ण हैं। यह बताता है कि भाजपा की प्राथमिकता बदली है और मंडल जातियों का विश्वास भाजपा में बढ़ा है और भाजपा ने भी इन जातियों को सम्मान दिया है और भागीदारी बढ़ायी है।
सुमो अब समझने लगे हैं कि चुनाव नजदीक आने के साथ पार्टी के सवर्ण नेताओं से उन्हें चुनौती मिल सकती है। सुमो के नेतृत्व को चुनौती विधानसभा में विपक्ष के नेता नंदकिशोर यादव भी दे सकते हैं, लेकिन इसकी संभावना बहुत कम है। क्योंकि नंदकिशोर की न यादव नेता की छवि है और न यादव वोटरों पर प्रभाव है। लेकिन सवर्ण नेता चुनौती देने के साथ परेशानी भी खड़ी कर सकते हैं। ऐसी किसी भी स्थिति से मुकाबले के लिए सुशील मोदी भाजपा की सांगठनिक स्तर पर भी तसवीर बदलना चाहते हैं और इसका उन्होंने संकेत भी दे दिया है।
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