गऊ (गाय) और गाछ (पेड़) भारतीय समाज का अभिन्न हिस्सा है। भारतीय सभ्यता और संस्कृति गऊ और गाछ के बिना अधूरी है। भारतीय राजनीति में भी इसकी कम महत्ता नहीं है। संसदीय लोकतंत्र के चुनाव में चुनाव चिह्न का बड़ा महत्व रहा है। कभी गछवा और बछवा मुहाबरा बन गया था। एक पार्टी का चुनाव चिह्न बरगद को पेड़ (गछवा) था तो दूसरी पार्टी का चुनाव चिह्न बछवा (गाय का बछड़ा) था। ये दोनों पार्टी कांग्रेस और सोशलिस्ट पार्टी थी।
वीरेंद्र यादव, बिहार ब्यूरो प्रमुख, https://naukarshahi.com/
बाद के वर्षों में ‘गछवा व बछवा’ दोनों राजनीति से गायब हो गए। लेकिन भाजपा के नये उभार के बाद ‘गाय’ का नया अवतार हुआ। राष्ट्रवाद के साथ गाय को ‘ब्रांड’ बना दिया गया। बाद में ‘गोरक्षा’ का नया अभियान शुरू हुआ। उधर सीएम नीतीश कुमार ने पौधारोपण को पार्टी का एजेंडा बना दिया। एक दौर ऐसा भी आया, जब जदयू का सदस्य बनने के लिए पौधा लगाना अनिवार्य कर दिया गया। नीतीश कुमार दो वर्ष पहले रक्षाबंधन के दिन ही सात सर्कुलर रोड में बोधिवृक्ष रोपकर गृहप्रवेश किए थे।
गौ-पालक का दर्द
बिहार में राजनीति समीकरण बदलने के बाद ‘गऊ और गाछ’ दोनों नयी ताकत दिखाने लगे हैं। ‘गोरक्षा’ के नाम पर हत्या और उत्पीड़न की घटनाएं बढ़ने लगीं। इससे लालू यादव की संवेदना जगी और उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को खुला पत्र लिखा। अपने पत्र में लालू यादव ने लिखा कि ‘ अगर आज मैं आपको कठघरे में खड़ा नहीं करुंगा तो मेरे अंदर का गौ-पालक मुझे कभी माफ नहीं करेगा।’ इसे संयोग ही कहेंगे कि इस पत्र के जारी होने के कुछ दिन बाद ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गोरक्षा के नाम पर होने वाली आपराधिक घटनाओं की सार्वजनिक रूप से निंदा की। गोरक्षा के नाम पर बने संगठनों को भी भला-बुरा कहा। इस दो घटनाओं ने गाय की भूमिका बदल दी। जिस गाय को भाजपा ‘राष्ट्रवाद का ब्रांड’ बना रही थी, उसी गाय को लालू यादव ने ‘गौ-पालक के स्वाभिमान’ से जोड़ दिया। गाय का यह नया अवतार बिहार की राजनीति में वोटों का गणित बदल दिया है।
पीपल पर श्रीकृष्ण
उधर ‘गाछ’ ने भी नया रूप ग्रहण कर लिया। नीतीश ने पौधारोपण को पार्टी का एजेंडा बनाकर पर्यावरण संरक्षण से जोड़ दिया था। रक्षा बंधन के दिन पेड़ों को राखी बांधने की परिपाटी शुरू की। लालू यादव सीएम नीतीश से आगे निकल गये और उन्होंने भी पीपल के पेड़ को राखी बांधी। इस दौरान लालू यादव ने कहा कि पीपल के पेड़ पर भगवान श्रीकृष्ण का वास होता है। भगवान श्रीकृष्ण ने खुद को पीपल बताया था। उन्होंने पीपल को राखी बांध कर नमन भी किया।
दावा के निहितार्थ
भाजपा के ‘गऊ’ और नीतीश के ‘गाछ’ पर लालू यादव ने एक साथ अपना दावा ठोक दिया है। इतना ही नहीं, अपने दावे को साबित करने के लिए ‘गऊ और गाछ’ दोनों से खुद को जोड़कर अपने आधार वोट को भी नया संदेश दिया है। कट्टर विरोधी भाजपा और घोर समर्थक नीतीश के राजनीतिक अभियान से अपना स्वाभाविक संबंध जोड़कर गाय और गाछ को राजनीतिक मैदान में फिर से जीवित कर दिया है, नया अर्थ गढ़ दिया है। देखना है आगे की राजनीति में इसका क्या असर पड़ता है।