एनडीए के बिहारी घटक दलों की भाजपा से होने वाली पीरड़ा अब रह रह कर छलकने लगी है. चर्चा तो यहां तक है कि भाजपा गठबंधन के दल उचित समय पर कुछ बड़ा फैसला लेने का इंतजार कर रहे हैं.
भाजपा के साथ जो घटक दल सत्ता में हैं वह सब कुछ सह कर समय काट रहे हैं लेकिन हिंदुस्तान अवामी मोर्चा( हम) की पीड़ा फिर छलक पड़ी है. हालांकि इससे पहले लोक जनशक्ति पार्टी के प्रदेेश अध्यक्ष पशुपति पारस भी अपनी पीड़ा जताते हुए कह चुके हैं भाजपा गठबंधन दलों को तरजीह नहीं देती.
उधर अब जीतन राम मांझी ने माना है कि बीजेपी अपने सहयोगियों को तरजीह नहीं देती. मांझी के निशाने पर बिहार बीजेपी है. उन्होंने एक स्थानीय न्यूज चैनल से बात करते हुए कहा कि बीजेपी यूपी में उनका उपयोग प्रचार के लिए करती तो मायावती का वोट कटता और बीजेपी को फायदा होता लेकिन शायद बीजेपी उनको कमजोर समझती है.
मांझी ने कहा कि यूपी में 20-21 फीसदी दलित वोटों में 11 फीसदी वोटर मायवाती के साथ हैं. लेकिन हमलोगों के प्रयास से बाकी दलित वोटरों को एनडीए के साथ जोड़ा जा सकता था लेकिन भाजपा की रणनीति का पता नहीं चल रहा है.
इससे पहले एनडीए के एक अन्य दल रालोसपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष व केंद्र में राज्य मंत्री उपेंद्र कुशवाहा ने आरएसएस के आरक्षण विरोधी बयान पर अपनी नाराजगी जता चुके हैं. कुशवाहा ने कहा था कि आरएसएस के बयान से भाजपा को घाटा हो सकता है.
गौरतलब है कि जीतन राम मांझी पिछले एक साल में कम से कम दो बार लालू प्रसाद से मिल चुके हैं. हालांकि उन्होंने हर बार अपनी मुलाकात को शिष्टाचार मुलाकात बता कर चुप्पी साध ली है.
समझा जाता है कि फिलहाल न तो बिहार में चुनाव का वक्त आया है और न ही निकट भविष्य में लोकसभा चुनाव होना है ऐसे में मांझी के लिए अभी कोई हड़बड़ी भी नहीं है.