लालू गठबंधन और नीतीश गठबंधन के बीच सीटों की संख्या और नाम को लेकर मंथन अंतिम चरण में पहुंचने लगा है। एनडीए ने सीटों की संख्या बांट ली है, नाम पर चर्चा जारी है, जबकि लालू गठबंधन में संख्या, सीट और उम्मीदवार की घोषणा एक साथ ही होगी।
वीरेंद्र यादव
इस बीच राजनीतिक गलियारे आ रही खबर के अनुसार, भाजपा ने अब तक दो बागी समेत आठ सांसदों को बेटिकट कर दिया है। शत्रुघ्न सिन्हा और कीर्ति आजाद ने राह पहले ही बदल ली है। इसके अलावा जिन 6 सांसदों को इंतजार करने का संकेत दिया गया है, उनमें से तीन पहली बार निर्वाचित हुए हैं। सीटों के चयन में सांसद का कामकाज और सहयोगी दलों की जरूरत का खास ख्याल रखा गया है। इन छह सीटों पर एनडीए के दल भी बदल सकते हैं और उम्मीदवार भी। एक सांसद का खूंटा भी बदला जा सकता है।
लालू गठबंधन में सबसे बड़ा दल राजद ही है। इसके बाद कांग्रेस का संख्या बल है। राजद सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, दो बार चुनाव हार चुके उम्मीदवारों को तीसरी बार मौका मिलने की संभावना कम है। कुछेक अपवाद हो सकते हैं। उम्मीदवारों के चयन का कोई फार्मूला भी तलाशा जा रहा है, लेकिन अंतिम मुहर लालू यादव ही लगाएंगे। महागठबंधन के अन्य दलों के उम्मीदवार भी लालू यादव ही तय करेंगे। राजद के वर्तमान तीन सांसद अपनी सीट पर कायम रहेंगे।
जदयू में नये उम्मीदवारों के लिए ज्यादा संभावना दिख रही है। पिछली बार जदयू के 38 उम्मीदवार थे। उन 38 में से कई दल बदल चुके हैं। जो पार्टी में हैं, उनके लिए संभावना भी काफी क्षीण है। नालंदा के उम्मीदवार कौशलेंद्र कुमार को आराम करने की सलाह दी जा सकती है। पूर्णिया के सांसद संतोष कुशवाहा को फिर टिकट मिल सकता है। जदयू के 17 में से दर्जन भर चेहरे एकदम नये हो सकते हैं। लोजपा की 6 में चार सीट फाइनल है। रामविलास पासवान फैमिली को तीन और वीणा देवी का टिकट तय है। दो सीटों पर ‘मालदार’ पहलवान की तलाश हो सकती है। बताया जा रहा है कि दो में से एक सीट पर उम्मीदवार तय कर लिया गया है।
वामपंथियों की राजनीति अंमित सांस गिन रही है। इसके पास विचारधारा के आधार पर वोटरों और समर्थकों की संख्या काफी कम रह गयी है। जाति के ‘ठेकेदार’ लालू गठबंधन और नीतीश गठबंधन वोट की दुकानदारी पहले से ही कर रहे हैं। इसमें वामपंथियों के लिए जगह काफी कम हो गयी है। वे भी लालू गठबंधन के साथ जीवनदान की संभावना तलाश रहे हैं।