2014 में भाजपा के लिए सबसे बड़ा सरदर्द आम आदमी पार्टी (आपा) के इमर्जेंस से है इसे भाजपा के अंदरुनी सूत्र भी स्वीकार कर रहे हैं.
जिस तरह से ‘आपा’ ने विधानसभा चुनावों में भाजपा के विजय रथ को रोक कर दिल्ली की गद्दी का निवाला उसकी थाली से छीना है, भाजपा इसे काफी गंभीरता से ले रही है. दूसरी तरफ आप ने 300 सीटों पर लोकसभा चुनाव में अपने उम्मीदवार खड़े करने का फैसला किया है, इससे कांग्रेस विरोध का वोट बंटना तय है और इससे भाजपा को ही नुकसान होने की संभावना है.
भाजपा ने राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीस गढ़ में कांग्रेस के खिलाफ अकेली सशक्त विक्लप के रूप में थी जिसका फायदा भी उसे मिला लेकिन दिल्ली में स्थितियां आप की वजह से बदल गयी. नतीजा यह हुआ कि भाजपा की शानदार सफलता के बावजूद उसे दिल्ली की गद्दी हाथ नहीं लगी. दिल्ली में भाजपा ने 32 सीटों पर जीत हासिल तो कर ली लेकिन बहुमत से 4 सीटें कम रही परिणाम यह हुआ कि उसे सत्ता से दूर रहना पड़ा.
हालांकि यह सच है कि कि कांग्रेस के खिलाफ आम लोगों में उमड़े गुस्से का लाभ भाजपा लेना चाहती है पर पिछले एक साल में आप के संघर्ष और दिल्ली में उसकी शानदार सफलता से भाजपा की कोर टीम में काफी बेचैनी है.
इधर दिल्ली में गद्दी संभालने के बाद आप ने हरियाणा पर फिलहाल नजरें गड़ा दी हैं और’आपा’ के नेता योगेंद्र यादव को मुख्यमंत्री का उम्मीदवार घोषित करके भाजपा को एक और गंभीर चुनौती दे दी है.
माना जा रहा है कि आप जिन 300 सीटों पर चुनाव लड़ना चाहती है उनमें 200 के आसपास ऐसी हैं जहां भाजपा काफी असर है. लेकिन आपके मैदान में उतरने से इसका सबसे ज्यादा असर भाजपा पर ही पड़ने की संभावना है.
अभी तक मोदी लहर के बूते चुनावी नैया पार लगाने में लगी भाजपा अरविंद केजरीवाल द्वारा उत्पन्न की गयी बाधा को कैसे पार लगायेगी यह देखने वाली बात होगी.
पर इतना तो चुनावी विशेषज्ञ मानने लगे हैं कि आपके इमर्जेंस से अगर सबसे ज्यादा खतरा किसी को है तो वह भाजपा ही है.