सत्‍तारूढ़ जदयू और भाजपा कार्यकर्ताओं के अच्‍छे दिन आने वाले हैं। विभिन्‍न आयोग, निगम और बोर्ड में करीब एक सौ पद पिछले एक साल से खाली पड़े हुए हैं। जिला और प्रखंडों में 20 सूत्री अध्‍यक्षों का पद महागठबंधन सरकार के गठन के समय से रिक्‍त पड़ा हुआ है। पिछली सरकार ने आपसी मतभेद और उठा-पटक के कारण रिक्‍त पदों को भरने में रुचि नहीं दिखायी।

वीरेंद्र यादव

 

राजद प्रमुख के दबाव में नीतीश कुमार ने निगम, बोर्ड, आयोग के अध्‍यक्ष और सदस्‍यों का जबरन इस्‍तीफा पिछले साल मई महीने में ही लिखवा लिया था। इस आश्‍वासन और भरोसे के साथ कि सहयोगी दलों को भी हिस्‍सेदारी देनी है। लेकिन हिस्‍सेदारी के लिए किसी पक्ष ने रुचि नहीं दिखायी। इसी कारण मामला लटका रहा। बीस सूत्री के लिए एक फार्मूला भी बना, लेकिन कार्यरूप नहीं दिया जा सका। इसके लिए लालू व नीतीश एक-दूसरे पर दोषारोपण करते रहे।

 

इधर भाजपा के सरकार में शामिल होने के बाद रिक्‍त पदों को शीघ्र भरने की संभावना बढ़ गयी है। भाजपा अपने चरित्र और कार्यशैली के अनुसार, कार्यकर्ताओं को सत्‍ता में अधिकाधिक लाभ पहुंचाना चाहती है। कार्यकर्ताओं को लाभ पहुंचाने का बड़ा मौका भाजपा को उपलब्‍ध है। इसलिए उम्‍मीद है कि भाजपा के साथ जदयू कार्यकर्ताओं के अच्‍छे दिन जल्‍द ही आने वाले हैं।

 

कोर्ट के दबाव में सरकार ने खाद्य आयोग और बाल संरक्षण अधिकार आयोग का गठन कर दिया था, जिसमें राजद, जदयू और कांग्रेस के सदस्‍यों को हिस्‍सेदारी दी गयी थी। दोनों के अध्‍यक्ष जदयू समर्थित ही थे। नयी सरकार राजद व कांग्रेस कोटे के सदस्‍यों से इस्‍तीफा भी ले सकती है या बर्खास्‍त कर सकती है। हालांकि अभी इस संबंध में अभी कुछ कहा नहीं जा सकता है। बिहार लोकसेवा आयोग में भी कई पद खाली पड़े हैं। कई अन्‍य संवैधानिक आयोगों के सदस्‍यों का कार्यकाल समाप्‍त हो रहा है। वैसी स्थिति में जदयू-भाजपा कार्यकर्ताओं को बंधी हुई है।

By Editor


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