बिहार के चुनावी समर में अब तक का सबसे बड़ा उलटफेर सामने आया है. किशनगंज के जद यू प्रत्याशी अख्तरुल ईमान ने चुनाव के बीच भंवर से अलग हटते हुए चुनाव न लड़ने का फैसला किया है इस फैसले से भाजपा पर हार का खतरा बढ़ गया है.
सबसे खास बात यह है कि इस सीट से नाम वापस लेने की तारीख खत्म हो गयी है और इसलिए अब जनता दल यू दूसरा उम्मीदवार भी खड़ा नहीं कर सकता.
चुनावी मैदान से हटने का कारण बताते हुए ईमान ने कहा है कि साम्प्रदायिकता के खिलाफ एकजुट होने के उद्देश्य से उन्होंने चुनाव मैदान से हटने का फैसला किया है.
मालूम हो कि 15वी लोकसभा में यह सीट कांग्रेस के मौलाना असरारुल हक कासमी ने जीती थी और इसबार भी वह चुनाव मैदान में हैं.
ईमान ने कहा, ‘आरएसएस के इशारे पर भाजपा समाज में घृणा और नफरत फैलाना चाहती है. इससे अल्पसंख्यक समुदाय में दहशत की स्थिति है. अल्पसंख्यक वोटों का बिखराव रोकने के लिए मैंने चुनाव से बाहर हो जाने का फैसला किया है. इससे क्षेत्र में भाजपा को रोकने में मदद मिलेगी. मैंने इस बाबत पार्टी आलाकमान से संपर्क करने की कोशिश की लेकिन बातचीत नहीं हो सकी.
याद दिला दें कि ईमान राष्ट्रीय जनता दल के निर्वतमान विधायक रहे हैं और वह कोचाधामन से नुमाइंदगी कर रहे थे. लेकिन चुनाव के ठीक पहले उन्होंने राजद छोड़ कर जद यू ज्वाइन किया था और उसी के टिकट पर चुनाव लड़ रहे थे.
हालांकि नौकरशाही डॉट इन को पता चला है कि जद यू के स्थानीय नेताओं और पार्टी नेतृत्व का एक धड़ा अख्तरुल ईमान के साथ भीतरघात कर रहा था. जिसकी शिकायत कई बार ईमान केंद्रीय नेतृत्व को कर चुके थे लेकिन नेतृत्व की तरफ से कोई साकारात्मक रुख नहीं अपनाया जा रहा था.
ईमान के इस कदम से जद यू को तगड़ा झटका लगा है क्योंकि अब नामांकन का दौर खत्म हो चुका है और इस सीट पर वह कोई दूसरा उम्मीदवार भी खड़ा नहीं कर सकता. ईमान के मैदान से हट जाने के बाद अब मौलाना असरारुल हक का रास्ता साफ हो गया है. मालूम हो कि कांग्रेस ने मौलाना के समर्थन में जल्द ही चुनाव प्रचार करने आने वाले हैं. ध्यान रहे कि किशनगंज बिहार का मुस्लिम संख्या के ऐत्बार से सबसे बड़ा लोकसभा क्षेत्र है, जहां पर मुसलमानों की आबादी आधी से अधिक है. यहां से भाजपा के दिलीप जायसवाल चुनाव मैदान में हैं.
अख्तरुल ईमान पिछले दो तीन सालों में किशनगंज के अलावा पूर्वांचल में काफी लोकप्रिय बन कर उभरे हैं. उन्होंने किशनगंज में अलीगढ़ विश्विद्यालय की शाखा खोलने के लिए बड़ा जन आंदोलन खड़ा करने में अहम भूमिका निभाई थी. और उन्होंने राज्य सरकार द्वारा जमीन उपलब्ध कराने में अानाकानी करने के खिलाफ काफी दबाव बनाया था.