बिहार प्रदेश भाजपा के पूर्व अध्यक्ष और विधान पार्षद मंगल पांडेय के राजनीतिक कौशल को पार्टी में स्वीकृति मिलने लगी है। उनकी राजनीतिक समझ, रणनीति और संभावनाओं को विस्तार भी मिलने लगा है। करीब सात माह पहले बिहार प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेवारी से मुक्त हुए मंगल पांडेय को पार्टी ने कई जिम्मेवारी सौंपी। उत्तर प्रदेश विधान सभा चुनाव में मंगल पांडेय को अवध क्षेत्र का प्रभारी बनाया गया था। अवध क्षेत्र का विस्तार विधान सभा की करीब 80 सीटों तक है। एक माह पहले भाजपा के राष्ट्रीय नेतृत्व ने मंगल पांडेय को हिमाचल प्रदेश का प्रभारी बनाया है। हिमाचल प्रदेश में अभी वीरभद्र सिंह के नेतृत्व वाली कांग्रेस की सरकार है और इसी साल नवंबर में विधान सभा चुनाव होना है।
भाजपा के हिमाचल प्रदेश प्रभारी मंगल पांडेय से
वीरेंद्र यादव की खास बातचीत
एक महीने में करीब 10 दिन हिमाचल प्रदेश का दौरा कर चुके मंगल पांडेय ने बताया कि देश भर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की विकास योजनाओं को जनता पसंद कर रही है और उन योजनाओं के प्रति अपना विश्वास भी जता रही है। हिमाचल प्रदेश में भी आम जनता का विश्वास प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में है। लेकिन राज्य सरकार केंद्र की विकासात्मक योजनाओं को लागू करने में विफल साबित हुई है। उन्होंने कहा कि राज्य में भ्रष्टाचार चरम पर है। मुख्यमंत्री को भ्रष्टाचार के एक मामले में कोर्ट से जमानत लेनी पड़ी है। भ्रष्टाचार के आरोप में कई सरकारी अधिकारी जेल में हैं।
नवंबर में होगा विधान सभा चुनाव
हिमाचल प्रदेश की सामाजिक बनावट की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि राजपूतों की संख्या करीब 32 फीसदी, ब्राह्मणों की संख्या 23 फीसदी, अनुसूचित जाति की संख्या 29 फीसदी, अनुसूचित जनजाति की संख्या 5 फीसदी और ओबीसी की संख्या करीब 8 फीसदी है। सभी धार्मिक अल्पसंख्यकों की संख्या एक से डेढ़ प्रतिशत है। भाजपा का सभी जातीय समूहों में आधार है और सभी वर्गों का समर्थन भाजपा के साथ है। पार्टी के संगठनात्मक स्वरूप की चर्चा करते हुए श्री पांडेय ने कहा कि बूथ स्तर तक पार्टी का संगठन है। हर बूथ पर कार्यकर्ता हैं। कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है। पार्टी लगातार अपना आधार बढ़ाने की कोशिश कर रही है। चुनाव की चुनौतियों के बारे में उन्होंने कहा कि जनता कांग्रेस सरकार से उब चुकी है। वह नया विकल्प तलाश रही है। वैसी स्थिति में भाजपा विकल्प देने में सक्षम है। चुनाव के बाद भाजपा की ही सरकार बनेगी।
राजनीतिक समीक्षकों का मानना है कि हिमाचल प्रदेश में हर चुनाव में सरकार बदल जाती है। इस लिहाज से अबकी भाजपा की बारी है। चुनाव में सरकार बदलने की परंपरा तमिलनाडू में भी थी, लेकिन पिछले साल अन्नाद्रमुक दुबारा लौट आयी थी और परंपरा टूट गयी थी। परंपरा टूटने का खतरा हिमाचल में भी हो सकता है। इससे भी मंगल पांडेय को सचेत रहना पड़ सकता है।