भाजपा और राजद के बीच ‘गलथेथरी’ चरम पर है। दोनों एक-दूसरे की जड़ में मट्ठा डालने की रणनीति बना रहे हैं। भाजपा किशनगंज में प्रदेश कार्यसमिति की बैठक में लालू यादव का आधार ‘लूट’ लेने की योजना बना रही है तो राजगीर में राजद भाजपा को ‘मिट्टी’ में मिला देने का संकल्प ले रहा है। इन दोनों की लड़ाई से अलग सीएम नीतीश कुमार पटना के राजभवन में बैठ कर ‘चाणक्य’ बनने के गुर सीख रहे हैं। इसका न्योता भी भाजपा की पृष्ठभूमि वाले राज्यपाल रामनाथ कोविंद ने दिया था।
वीरेंद्र यादव
राजभवन में हुआ ‘चाणक्य’ का मंचन
2 मई को राजगीर और किशनगंज में भाजपा व राजद अपने पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं को संगठन बढ़ाने, बचाने और उठाने का प्रशिक्षण दे रहे थे। आधार विस्तार से लेकर नीतियों पर बहस के माध्यम से पार्टी को निखारने का प्रयत्न रहे थे। उधर पटना में सीएम नीतीश कुमार ऐतिहासिक नाटक ‘चाणक्य’ का आंनद ले रहे थे। राजभवन के राजेंद्र मंडपम में ‘चाणक्य’ नाटक का मंचन कला, संस्कृति और युवा विभाग के तत्वावधान में किया गया था। नाटक के दर्शकों में विधान सभा के अध्यक्ष विजय कुमार चौधरी, विधान परिषद के सभापति अवधेश नारायण सिंह, कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अशोक चौधरी समेत राज्य सरकार के कई मंत्री और वरीय प्रशासनिक अधिकारी मौजूद थे।
1990 और उसके बाद के कुछ वर्षों तक नीतीश कुमार लालू यादव के विश्वस्त थे और सरकार के संचालन में उनकी बात सुनी जाती थी। उस दौर में नीतीश कुमार को लालू यादव का ‘चाणक्य’ समझा जाता था। राजनीति समीकरण बदला। वर्षों बाद नीतीश कुमार अब भाजपा और राजद के बीच की लड़ाई में दोनों ओर से अपने लिए ‘सीट सुरक्षित’ बनाए रखने की कवायद कर रहे हैं। ऐसे में चाणक्य की ‘सत्ता नीति’ ज्यादा प्रासंगिक हो गयी है। यही कारण है कि नाटक की समाप्ति के बाद नीतीश ने कलाकारों की प्रस्तुति की तारीफ की और राज्य के अन्य हिस्सों में भी मंचन का आग्रह किया, ताकि नाटक की मंचीय श्रेष्ठता से आम दर्शक भी परिचित हो सकें।