भाजपा MP निशिकांत दुबे ने पहले OBC कार्यकर्ता को अपना पैर धुला पानी पिलवाया, हुए ट्रोल तो सफाई दी है.
निशिकांत दुबे झारखंड के गोड्डा के सांसद हैं. उन्होंने अपने फेसबुक अकाउंट से एक फोटो शेयर किया जिसमें एक व्यक्ति उनके पांव पखार रहा है. निशिकांत दुबे ने लिखा कि “आज मैं अपने आप को बहुत छोटा कायकर्ता समझ रहा हूँ ,भाजपा के महान कार्यकर्ता पवन साह जी ने पुल की ख़ुशी में हज़ारों के सामने पैर धोया व उसको अपने वादे पुल की ख़ुशी में शामिल किया,काश यह मौक़ा मुझे एक दिन माता पिता के बाद मिले, मैं भी कार्यकर्ता ख़ासकर पवन जी का चरणामृत पियूँ”.
इस पोस्ट को पढ़ने के बाद इसके खिलाफ भारी प्रतिक्रिया हुई. सूरज शाहदेव ने अपनी प्रतिक्रिया मे लिखा कि- आदरणीय सांसद महोदय जी पैर धोना तक ठीक था लेकिन उस पानी को पीना कहां तक जायज था.
जबकि प्रदीप कुमार, सांसद के बचाओ में आ गये और सूरज को जवाब दिया कि “सूरज जी यह पवन जी का समर्पण और प्रेम भाव है इसे तूल न दिया जाए”.
आनंद सिंह ने शायराना मगर कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए लिए- “यह भक्ति नहीं आसां बस इतना समझ लीजिए/ एक थूक का दरिया है और चाट कर जाना है” वहीं सत्यम सिन्हा ने लिखा- “शेम मिस्टर दुबे”.
राहुल कुमार ने कहा-
धोया है तो ठीक है अगर पैर धोकर पीने वाला बात सच है और आपने उसको पीने भी दिया तो आपने बहोत गलत किया
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वहीं वरिष्ठ पत्रकार दिलीप मंडल ने लिखा-
झारखंड में कई ओबीसी जातियाँ ब्राह्मणों के पैर धोकर उस पानी को पीती है। मैंने अपनी आँखों से देखा है। यह बंगाल में भी है।
लेकिन यह है तो कुरीति ही। तो संविधान की शपथ लेने वाले सांसद से उम्मीद की जाती है कि इसे बढ़ावा न दें।
लेकिन कल एक ओबीसी पवन साह ने पब्लिक में उनका पैर धोकर सारा गंदा पानी पी लिया तो उसे रोकने की जगह दुबे ने उसकी फ़ोटो तारीफ़ करते हुए लगा दी।
बीजेपी को दुबे के ख़िलाफ़ कार्रवाई करनी चाहिए।
सांसद ने दी सफाई
काफी ट्रोल होने के बाद निशिकांत दुबे ने फिर एक पोस्ट किया जिसमें उन्होंने सफाई देते हुए लिखा- ‘क्या मैं अपने मॉं पिताजी को बदल दूँ ? क्या मैं जाति से ब्राह्मण हूँ ,इसलिए मेरे साथ मेरे मॉं पिताजी गाली के हक़दार हैं ? किसी ने पीया या नहीं पिया मैंने अपने शिक्षक बेचू नारायण सिंह जो जाति से कुरमी थे उनका पॉव धोकर पीया है? किसी दिन पवन जैसे कार्यकर्ताओं का चरणामृत लेने का सौभाग्य मुझे मिलेगा क्योंकि उन जैसे लोगों के कारण ही मैं जनता के बीच ज़िन्दा हूँ”.