मिलन वैष्णव और सक्षम खोसला द्वारा तैयार इस रिपोर्ट के मुताबिक, ‘भारत सरकार को नियुक्ति और पदोन्नति की प्रक्रिया का पुनर्गठन करना चाहिए। अधिकारियों के प्रदर्शन आधारित आकलन को सुधारना चाहिए। नौकरशाहों को राजनीति दखलअंदाजी से बचाते हुए ऐसे उपाय करने चाहिए जिनसे व्यक्तिगत जिम्मेदारी को बढ़ावा मिले।’
50 पन्नों की इस रिपोर्ट में कार्नेगी ने कहा है कि राजनीतिक दखलअंदाजी के कारण खासी अक्षमता पैदा होती है और सर्वश्रेष्ठ अधिकारी हमेशा महत्वपूर्ण ओहदे नहीं पाते। जबकि किसी राजनीतिक पार्टी या नेता के प्रति वफादारी नौकरशाहों को कॅरियर में सफलता का वैकल्पिक मार्ग उपलब्ध करवाती है।
इसके मुताबिक किसी नौकरशाह का स्वास्थ्य, शिक्षा और गरीबी उन्मूलन पर मजबूत, प्रत्यक्ष और उल्लेखनीय प्रभाव हो सकता है। लेकिन मजबूत स्थानीय संपर्को वाले नौकरशाह को सामान्यत: आसानी से भ्रष्टाचार में लिप्त होने वाला माना जाता है, जबकि ऐसे अधिकारी अक्सर लोक सेवा में सुधार लाने वाले होते हैं।