अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता पर अमेरिकी रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में धार्मिक सहिष्णुता कम हो रही है और धार्मिक स्वतंत्रता का उल्लंघन भी बढ़ गया है.
यूएस कमीशन फॉर इंटरनेशनल रिलिजियस फ्रीडम (यूएससीआईआरएफ) ने भारत सरकार से सार्वजनिक रूप से उन पदाधिकारियों और धार्मिक नेताओं को फटकार लगाने को कहा है जिन्होंने धार्मिक समुदायों के बारे में अपमानजनक बयान दिए हैं।
रीलिजियस फ्रिडम अब्पोरॉड- रोड मैप ऑफ डिटेरियरेशन नामक रिपोर्ट अपनी वेबसाइट पर जारी करते हुए कमिशन ने कहा है कि भारत में साल 2015 में धार्मिक सहिष्णुता बदतर हो गई और धार्मिक स्वतंत्रता का उल्लंघन बढ़ गया।
ईसाई, मुस्लिम, सिख पर बढ़ी प्रताड़ना
रिपोर्ट में आरोप लगाया गया है कि अल्पसंख्यक समुदाय खासतौर पर ईसाई, मुसलमान और सिखों को धमकी, प्रताड़ना और हिंसा की कई घटनाओं का सामना करना पड़ा जिसमें बड़े पैमाने पर हिंदू राष्ट्रवादी संगठनों का हाथ था। इसने आरोप लगाया है कि सत्तारूढ़ भाजपा के सदस्यों ने तरकीबी रूप से इन संगठनों का समर्थन किया और तनाव को हवा देने के लिए धार्मिक रूप से बांटने वाली भाषा का इस्तेमाल किया।
इसने कहा है कि इन मुद्दों ने पुलिस के पूर्वाग्रह की पुरानी समस्या और न्यायिक अपर्याप्तता ने दंड मुक्ति का एक व्यापक माहौल पैदा किया जहां धार्मिक अल्पसंख्यक अपनी असुरक्षा महसूस कर रहे हैं।
इसने धार्मिक स्वतंत्रता के मामले में भारत को टियर 2 देशों की सूची में बनाए रखा है जिसमें अफगानिस्तान, क्यूबा, इंडोनेशिया, मलेशिया, रूस और तुर्की जैसे देशों के नाम शामिल हैं। इसने जनवरी 2015 में अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा की भारत यात्रा के दौरान इस मुद्दे को उठाने को लेकर उनकी सराहना की है। इसने केंद्रीय गृह मंत्रालय की एक ताजा रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि साल 2015 में भारत में साम्प्रदायिक हिंसा में 17 फीसदी वृद्धि हुई।