एक ताजा अध्ययन से पता चला है कि फर्राटेदार अंग्रेजी बोलने वाले गैरअंग्रेजीदां से 34 प्रतिशत ज्यादा कमाई करते हैं.
इस स्टडी से इंग्लिश में शिक्षा और रोजगार के अवसरों के बीच का संबंध भी स्पष्ट हो जाता है।
टाइम्स न्यूज नेटवर्क के रीमा नागराजन की रिपोर्ट के मुताबिक देश के नॉर्थ-सेंट्रल (इसमें बिहार, यूपी शामिल है) क्षेत्र में 25 फीसदी से भी कम छात्र इंग्लिश माध्यम में हायर एजुकेशन हासिल कर रहे हैं, जबकि साउथ इंडिया में यही आंकड़ा 75 फीसदी के करीब है।
जहां भारतीय भाषाओं में हायर एजुकेशन हासिल करने का खर्च 1,200 से 3,000 रुपए हर साल आता है तो वहीं इंग्लिश माध्यम में ऐसी ही पढ़ाई का खर्च करीब 6 से 8 गुना अधिक यानी 8 से 15 हजार के बीच आता है। वैसे भविष्य की करियर संभावनाओं के देखें तो यह खर्च कोई घाटे का सौदा नहीं है। यह रिपोर्ट नई दिल्ली के सेंटर फॉर रीचर्स ऐंड डिबेट्स इन डिप्लोमैटिक पॉलिसी के डॉ. अबुसालेह शरीफ और नैशनल काउंसिल फॉर अप्लाइड इकॉनमिक रीचर्स के अमित शर्मा ने तैयार की है।
रिपोर्ट के मुताबिक, ‘जो पुरुष फर्राटे से इंग्लिश बोलते हैं, वह इंग्लिश न बोलने वालों से 34 फीसदी ज्यादा कमाते हैं और जो थोड़ी बहुत इंग्लिश बोल लेते हैं तो वह भी 13 फीसदी ज्यादा वेतन हासिल करते हैं।’ रिपोर्ट के मुताबिक भारत के 20 फीसदी लोग ही इंग्लिश बोल पाते हैं और केवल 4 फीसदी लोग ही फर्राटे से यह भाषा बोल पाते हैं।
डॉ. शरीफ ने टीओआई से कहा, ‘ऐसे राजनेता जो इंग्लिश का विरोध करते हैं, वह किसी डूबते जहाज के कप्तान की तरह हैं। इंग्लिश में हायर एजुकेशन से लोगों को ग्लोबल ऑर्गनाइज्ड सेक्टर और लेबर मार्केट से जुड़ने में आसानी होती है। जिनके पास इंग्लिश में हायर एजुकेशन नहीं है वह पीछे छट रहे हैं।’रिपोर्ट के मुताबिक, ‘जो पुरुष फर्राटे से इंग्लिश बोलते हैं, वह इंग्लिश न बोलने वालों से 34 फीसदी ज्यादा कमाते हैं और जो थोड़ी बहुत इंग्लिश बोल लेते हैं तो वह भी 13 फीसदी ज्यादा वेतन हासिल करते हैं।’ रिपोर्ट के मुताबिक भारत के 20 फीसदी लोग ही इंग्लिश बोल पाते हैं और केवल 4 फीसदी लोग ही फर्राटे से यह भाषा बोल पाते हैं।
डॉ. शरीफ ने टीओआई से कहा, ‘ऐसे राजनेता जो इंग्लिश का विरोध करते हैं, वह किसी डूबते जहाज के कप्तान की तरह हैं। इंग्लिश में हायर एजुकेशन से लोगों को ग्लोबल ऑर्गनाइज्ड सेक्टर और लेबर मार्केट से जुड़ने में आसानी होती है। जिनके पास इंग्लिश में हायर एजुकेशन नहीं है वह पीछे छट रहे हैं।’