आज सुबह दिल्ली से पटना पहुंचा। राजधानी एक्सप्रेस में रास्ते भर व्हाट्सएप एवं अन्य सोशल मीडिया पर चल रहे फर्जी पोस्ट और मैसेज से भयाक्रांत लोगों को अपने परिवार वालों को रात भर जगने, मैदान में सोने, बच्चों को सीने से लगाये रखने जैसी हिदायतें देते सुनते आया। लोगों को समझाने की कोशिश में लगा रहा कि कोई भविष्यवाणी भूकंप की नहीं हो सकती है। ऐसा सुनकर लोग मुझे अविश्वास से देखते गोया मैं उन्हें बरगला रहा हूं।
सुशील कुमार, वरीय पुलिस पदाधिकारी
इस डर, अविश्वास और भयाक्रांत अस्थिर अवस्था के पीछे हमें कुछ मसलों और कारकों पर गौर करना होगा। कल के भूकंप की तीव्रता रिक्टर स्केल पर 7.9 मापी गयी। 1934 के बिहार नेपाल के भूकंप की तीव्रता के बराबर का भूकंप था। हजारों लोग मारे गये। बिहार में भी 60 से ज्यादा लोगों के मरने की खबर आ चुकी है। इसके पहले के दो भूकंप 1988 एवं 2011 में आये, मुझे याद हैं। दोनों कल के भूकंप के मुकाबले कम शक्तिशाली थे। इन चेतावनियों से हमें सबक लेना था, जो अबतक हम न ले सके। अगर आगे ना चेते, तो विनाश होगा। पहला सबक कि हम भूकंप के सबसे खतरनाक जोन में रहते हैं और हमारे कुछ ही सौ किलोमीटर उत्तर में दुनिया का सबसे युवा पर्वत हिमालय बनने की प्रकिया में है। हम कंक्रीट के जंगल में तब्दील होते शहरों में रहते हैं। हमें जापान से सबक लेना चाहिये, जिसने पिछली शताब्दी ऐसे दसियों भूकंप झेले हैं। हमें जापान की तरह अपने घरों को भूकंपरोधी बनाना होगा।
रखें सावधानी
अपार्टमेंट खरीदते समय ध्यान रखें कि बन रहा अपार्टमेंट भूकंपरोधी ही हो। पुराने घरों की रेट्रोफिटिंग कराकर उनकी आयु बढ़ायें। खर्च बहुत कम हैं। बिहार राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने ऐसी तकनीको को लेकर एनआईटी पटना के सहयोग एक लाइव मॉडल तैयार किया है, जो जनसुलभ और निःशुल्क है। घर बनाने के पहले जरूर जाकर विशेषज्ञों से समझ लें। दुनिया के सबसे विकसित देश जापान की भौगोलिक अवस्था प्राकृतिक आपदाओं के लिए सबसे संवेदनशील है। फिर भी वहां भूकंप से सबसे कम हानि होती है। वजह है तैयारी और जानकारी। हमारे स्कूलों में इसे अनिवार्य व्यावहारिक विषय के रूप में शामिल किया जाना चाहिए।
भगदड़ से मौत
कल के भूकंप में कुछेक लोगों की मौत भगदड़ से भी हुई है। सब जानकारी के अभाव के कारण है। भूकंप में लोग सीढ़ी से तुरंत उतरने लगते है, जिससे भगदड़ होती है। बच्चे, महिलाएं और बुजुर्ग इससे सबसे ज्यादा प्रभावित होते हैं। हड़बड़ाकर मत भागें। ध्यान रखे अगर आप चौथी – पांचवी मंजिल पर हैं तो अपने घर में दीवाल के पीलर के पास पकड़कर खड़े हो जायें, मजबूत टेबुल या चौकी, पलंग के नीचे छिप जायें।
वजह क्या है
कल का भूकंप इंडियन और यूरेशियन प्लेट के आपसी टकराहट के वजह से उत्पन्न विपुल ऊर्जा का प्रस्फुटन है। इस टेक्टोनिक मूवमेंट के कारण दुनिया के सबसे युवा पर्वत हिमालय का निर्माण हो रहा है और प्रतिवर्ष हिमालय कुछ मिलीमीटर ऊंचा हो रहा है। इस कारण जमीन के भीतर हलचल होती रहती है। इस प्राकृतिक प्रकिया के हम भागीदार हैं और हमें प्रकृति के इस भौगोलिक बदलाव को समझना होगा, खुद को उसके अनुरूप ढालना होगा।
बचे अफवाह से
प्राकृतिक विपदा में अफवाह बहुत खतरनाक परिस्थितियों को जन्म देते हैं। किसी ने कल व्हाट्सएप पर मैसेज पोस्ट कर दिया कि छत्तीसगढ़, उड़ीसा और बिहार में 13.7 की तीव्रता का भूकंप रात साढ़े आठ बजे, साठ़े ग्यारह बजे और डेढ़ बजे रात में आयेगा और इस खबर का स्रोत आईएमडी छत्तीसगढ़ बताया गया। कृपया ऐसी पोस्ट पर विश्वास न करें, इसकी तुरंत सूचना स्थानीय थाना पुलिस को दें। साथ ही हो सकता है आपके किसी मित्र ने इस सूचना को कहीं से प्राप्त कर आपको फारवर्ड किया हो, तो उसे भी इस फर्जी मैसेज के प्रति आगाह करें। कृपया समझ लें कि कोई भी भूकंप की चेतावनी नहीं दे सकता। कल के भूकंप के बाद कई झटके आयें हैं, कई आने वाले घटों में आयेंगे। दो चीजें समझ लें। पहली कि ये जब दूसरी बार आता है तो तीव्रता कम होती जायेगी। दूसरी कि इनसे घबराकर पलायन न करें। प्रकृति के इस बदलाव को समझें और उस अनुसार व्यवहार करें। आने वाले दिनों में बड़ा भूकंप आने के पूर्व हम खुद को तैयार कर लें। और हॉ, व्हाट्सएप और अन्य माध्यमों का उपयोग जागरूकता और सजगता फैलाने में करें।