अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान,पटना के एक दिलचस्प अध्ययन से पता चला है कि भूकम्प के बाद पोस्ट नेपाल-इंडिया भूकंप सिड्रोम से भारत-नेपाल के 40 फीसदी लोग प्रभावित हुए हैं.
नेपाल-भारत में आये विनाशकारी भूकंप के बाद यहां के आम लोगों के स्वास्थ्य में बदलाव आ गया है. इसका नाम पोस्ट नेपाल-इंडिया भूकंप सिड्रोम (पीनाइस) दिया गया है. इस सिंड्रोम के कारण सिर में दर्द, चक्कर, उल्टी, कंफ्यूजन और भय जैसी शिकायत होने लगी है.
प्रभात खबर ने पटना एम्स के निदेशक डॉ जीके सिंह के हवाले से बताया है कि नेपाल के विशेषज्ञों के साथ यह अध्ययन किया गया है. डॉ जीके सिंह ने बताया कि 25 अप्रैल, 2015 को आये भूकंप के बाद किये गये अध्ययन में यह पाया गया कि इस तरह की बीमारियों के लक्षण कोसी से लेकर गोरखपुर तक और उत्तर नेपाल से लेकर बिहार के बेतिया, मोतिहारी, सीतामढ़ी, मुजफ्फरपुर, भागलपुर, दरभंगा, मधुबनी, समस्तीपुर, सीवान, छपरा, पटना, वैशाली तक में इसका प्रभाव देखा जा रहा है.
इस अध्ययन में निदेशक डॉ जीके सिंह के अलावा एम्स, पटना के शिशु सर्जरी विभाग के अध्यक्ष डॉ बिंदे कुमार, सीएफएम विभाग के एडिशन प्रोफेसर डॉ सीएम सिंह, यूनिसेफ, बिहार के डॉ धनश्याम सेट्टी, सर्जरी विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ प्रशांत सिंह, सीटीवीएस विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ संजीव कुमार, हड्डी रोग विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ संदीप कुमार, सर्जरी विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ अनिल कुमार, शिशु रोग विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ अरुण प्रसाद, नर्सिग की विभागाध्यक्ष राथिश नायर, नोबल मेडिकल कॉलेज , नेपाल के प्राचार्य डॉ हेम सागर रिमाल, डॉ निरंजन कुमार, डॉ दिलीराम निरौला व डॉ कुमुद चपागैन जैसे विशेषज्ञ शामिल थे.
र