केंद्र सरकार ने भूमिगत जल का दुरुपयोग रोकने के लिए मजबूत नियामक तंत्र सुनिश्चित करने के वास्ते भूजल इस्तेमाल को लेकर नियमों में संशोधन संबंधी एक अधिसूचना जारी की है। अधिसूचना जारी की गयी थी और इसमें की गयी व्यवस्था अगले वर्ष जून से प्रभावी होगी। नयी व्यवस्था में जल संरक्षण शुल्क लगाने का प्रावधान किया गया है।
जल संसाधन, नदी विकास एवं गंगा संरक्षण मंत्रालय ने गुरुवार को बताया कि राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण के दिशा-निर्देशों का पालन करते हुये भूमिगत जल के इस्तेमाल को लेकर जारी मौजूदा दिशा-निर्देशों में सुधार करते हुये यह अधिसूचना जारी की है। संशोधित दिशा-निर्देशों में जल संरक्षण शुल्क लगाने की व्यवस्था की गयी है। इसके तहत शुल्क का भुगतान क्षेत्र की श्रेणी, उद्योग के प्रकार और भूमिगत जल निकालने की मात्रा के अनुसार अलग-अलग होगी। जल संरक्षण शुल्क की उच्च दरों से उन इलाकों में नये उद्योगों को स्थापित करने से रोकने की कोशिश हो सकेगी जहाँ जमीन से अत्यधिक मात्रा में पानी निकाला जा चुका है।
नयी व्यवस्था में उद्योगों द्वारा जल पुनर्चक्रण और शोधित सीवेज जल के इस्तेमाल, प्रदूषण फैलाने वाले उद्योगों के खिलाफ कार्रवाई का प्रावधान करना, भूमिगत जल निकालने की मात्रा, उद्योगों द्वारा पानी का लेखा अनिवार्य करने, कुछ विशेष उद्योगों को छोड़कर छत पर वर्षा के पानी एकत्र करने को अनिवार्य बनाना, प्रदूषण फैलाने वाले उद्योगों के परिसरों में भूमिगत जल दूषित होने की रोकथाम सुनिश्चित करने के लिए अपनाये जाने वाले उपायों को प्रोत्साहित करना शामिल है।