कांग्रेस के बजट में पास योजनाओं के नाम नेहरू, गांधी, इंदिरा, राजीव हुआ करते थे. लेकिन अब उन नामों की जगह कुछ नये नामों ने ले लिये हैं. वित्त मंत्री अरुण जेटली के बजट भाषण से यह साफ दिखा.
इर्शादुल हक, सम्पादक नौकरशाही डॉट इन
कांग्रेस सरकार के वक्त राजीवगांधी ग्रामीण विद्युतीकरण योजना चलती थी. भाजपा सरकार के वित्त मंत्री ने अब गांव को रौशन करने के लिए जिस योजना की शुरूआत की है उसका नाम रखा है – दीनदयाल ज्योति योजना. हालांकि इस योजना के शुरू होने से राजीव गांधी विद्युतीकरण योजना पर क्या प्रभाव पड़ेगा अभी यह स्पष्ट नहीं हो पाया है.
लेकिन दोनों गांव से जुड़ी योजना हैं तो एक ही तरह की दो योजना का क्या मतलब हो सकता है, इस सवाल का जवाब अब मिल ही जायेगा. लेकिन भाजपा के वित्त मंत्री ने अपने बजट भाषण से यह स्प्ष्ट कर दिया है कि कई महत्वपूर्ण योजनाओं के नाम संघी विचारधारा के नेताओं के नाम पर रखा जायेगा, ऐसा तो हर सरकार करती है.
राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ से जुड़े पंडित दीन दयाल उपाध्याय का जन्म 25 सितंबर 1916 को उत्तर प्रदेश के मथुरा में हुआ था. उपाध्याय संघ प्रचारक थे बाद में भारतीय जनसंघ की स्थापना में सहयोगी रहे.
मदन मोहन मालवीय के नाम से शैक्षिक योजना शुरू करेने की घोषणा अरुण जेटली ने की है. मालवीय एक हिंदुत्वादी नेता थे और उन्होंने हिंदू महासभा की स्थापना भी की थी.
इसी तरह भाजपा की सरकार ने एक कांग्रेसी नेता सरदार वल्लभ भाई पटेल को अपने खाने में करने के अभियान में जुटी हुई है. इसके तहत सरकार ने 200 करोड़ रुपये की व्यवस्था की है. इन पैसों से स्टैच्यु ऑफ युनिटी यानी पटेल की प्रतिमा बनेगी. पटेल गुजरात के रहने वाले थे. इसलिए नरेंद्र मोदी की उनमें खास दिलचस्पी है. कांग्रेसी होते हुए भी और कांग्रेस सरकार में गृहमंत्री रहते हुए भी पटेल और मतभेद जग जाहिर थे. पटेल हिंदुत्वादी नजरिया का प्रतिनिधित्व करते थे जिस कारण गांधी परिवार ने कांग्रेस की बड़ हस्तियों में उन्हें जगह नहीं दी. लेकिन उन्हें भाजपा अपनाती जा रही है.
जब एक विचारधारा की पार्टी सत्ता से जाती है और दूसरी विचारधारा की पार्टी सत्ता मे आती है तो कुछ बनियादी फर्क दिखे या नहीं प्रतीकों का फर्क तो सबसे पहले दिखने लगता है.
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