भोपाल जेल ब्रेक और सिमी मिलिटेंट्स को मार गिराने के मामले में पुलिस व जेल प्रशासन के बयान पर गंभीर सवाल उठने लगे हैं.
अब तक पुलिस ने इस मामले में जो कहानी बताई है और जेल प्रशासन ने जो तर्क दिये हैं वह आपस में मेल नहीं खा रहे हैं, इस कारण पुलिस व जेल प्रशासन सवालों के घेरे में आ गया है. फर्स्ट पोस्ट वेबसाइट में टीएस सुधीर ने कई चौंकाने वाले सवाल उठाये हैं जो जेल प्रशासन और मध्यप्रदेश पुलिस को कठघरे में खड़ा करने वाले हैं.
इन सवालों के बाद विवाद और गंभीर होता जा रहा है. टीएस सुधीर द्वारा उठाये गये सवाल और तथ्य यहां पेश किये जा रहे हैं.
- भोपाल सेंट्रल जेल देश की एक मात्र जेल है जिसे आईएसओ 9001 सर्टिफिकेट प्राप्त है. यह सर्टिफिकेट उसकी सुरक्षा और अन्य सुविधाओं के आधार पर दिया जाता है. यह कैसे संभव है कि जब सुरक्षा गार्ड की हत्या कर सिमी के लोग भागे तो किसी ने अलार्म नहीं बजाया?
- जिस रास्ते से सिमी के आठों मिलिटेंट्स भागे वहां का सीसीटीवी कैमरा क्यों काम नहीं कर रहा था ?
- जेल की 32 फिट ऊंची दीवार पर बिजली का नंगा तार दौड़ता है. यह कैसे संभव हुआ कि जब आठों कैदी भागे तो उनमें से एक भी करेंट की जद में नहीं आ सका? क्या जेल प्रशासन ने उन्हें भगाने में मदद की ? और क्या बिजली के तार से करेंट आफ कर दिया.
- सिमी मिलिटेंट्स के वकील का सवाल है कि जेल से भागने में आठ में से तीन ऐसे थे जो जेल की दीवार फांदने की स्थिति में नहीं थे.
- हरेक सेंट्रल जेल में वाच टावर होता है और उस पर स्पेशल पुलिस फोर्स के जवान होते हैं जो जेल के स्टाफ नहीं होते. जेल की चहारदीवारी में सर्चलाइट और स्पाट लाइट होती हैं. इसके बावजूद ऐसी घटना घटी और किसी को इसका आभास तक क्यों नहीं हुआ ?
- अगर सिमी के तमाम लोगों ने जेल से भागने की साजिश रची तो सिमी का प्रमुख नेता अबू फैसल जो इसी जेल में था उसे क्यों नहीं भगाया गया. ?
जेल प्रशासन इन सवालों के जवाब देने की पोजिशन में नहीं है.
अब उन सवालों पर गौर कीजिए जो जेल से भागने के बाद के हालात से जुड़े हैं. जेल से भागने के 5-6 घंटे के बाद सभी के सभी पुलिस की गोली से मार दिये गये.
मध्यप्रदेश पुलिस का दावा है कि सिमी के आठों कैदी दो देसी बंदूक और छूरी से लैस थे. राज्य के गृह मंत्री भूपेंद्र सिंह के बयान कुछ अलग ही हैं. उनका कहना है कि उन लोगों ने जेल की थालियों को हथियार के रूप में इस्तेमाल किया और उनके पास कोई अन्य हथियार नहीं थे.
बड़ा सवाल यह है कि पूलिस सच बोल रही है या मंत्री.
जो वीडियो फुटेज बरामद किया गया है उसमें साफ तौर पर सुना जा सकता है कि जो आदमी पुलिस के सामने खड़ा है वह खुद को पुलिस के हवाले करने की बात कह रहा है. उसने अपने दोनों हाथ उठा कर सरेंडर की मुद्रा में खड़ा है.
पुलिस यह दावा कर रही है कि आठों को एनकाउंटर में ही मारा गया है तो उसे इस मामले में स्पष्ट तर्क पेश करने चाहिए.
सवाल यह भी है कि एनकाउंटर के दौरान पुलिस अपने मोबाइल फोन से शूटिंग कैसे कर रही थी, वह भी जब, तब दोनों तरफ से गोलियां चलाई जा रही थीं.
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