पूर्वी चंपारण के कनछेदवा पंचायत में करोड़ों की अनियमितता, निष्क्रिय है प्रशासनबिहार की पंचायती राज व्यवस्था में भ्रष्टाचार की सडांध किस कदर जड़ें जमा
चुकी हैं. इसका एक छोटा सा उदाहरण है पूर्वी चंपारण जिले के हरसिद्धिप्रखंड अंतर्गत कनछेदवा पंचायत.
SRIKANT SAURABH FROM MOTIHARI
जहां करोड़ों की अनियमितता उजागर होने के
बावजूद भी शिकायत करने पर प्रशासनिक कार्रवाई के नाम पर अधिकारियों ने
सिर्फ खानापूर्ति की है. यहीं नहीं भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई लड़ने वाले
उपमुखिया को ही तबाह करने के लिए आधे दर्जन झूठे मुकदमे में फंसा दिया
गया. डराने धमकाने की नीयत से उनके पैरों में गोली मार घायल कर दिया गया.
महज आठ हजार की आबादी वाली इस छोटी पंचायत के मुखिया राहुल कुमार सिंह ने
अपने आठ वर्षों के कार्यकाल में डेढ़ करोड़ से ज्यादा की विकास राशि में
गंभीर अनियमितता बरती है.
इसका खुलासा खाद व्यवसायी व उपमुखिया बृजकिशोर सिंह ने सूचना के अधिकार
के तहत वित्तीय वर्ष 2006-11 तक मिली जानकारी से की है. उपमुखिया श्री
सिंह बताते हैं कि दो वर्ष पहले 32 हजार रुपये खर्च करके कनछेदवा पंचायत
के पांच वर्षों की विकास योजनाओं की सूचना मंगाई. तब पता चला कि मुखिया
ने मनरेगा, बीआरजीएफ, हरियाली, सोलर आदि योजनाओं के मद में आधे अधूरे या
बिना कार्य किए ही लाखों कि राशि उठाव कर ली है. वे बताते हैं कि
अनियमितता कि शिकायत उन्होंने बीडीओ, एसडीओ, डीएम से लेकर विजिलेंस तक
की. इस दौरान उन्हें मुखिया ने अपने समर्थकों की बदौलत दलित एक्ट के झूठे
मुकदमे में फंसा दिया. हालांकि पुलिस ने जांच में मामले को गलत पाया. और
उलटे केस मुखिया व उनके समर्थकों पर घूम गया. लेकिन दबंगता व पैसे के बल
पर उनपर कोई कार्रवाई नहीं हो पाई. इसी बीच उपमुखिया पर एक और फर्जी दलित
एक्ट का मुकदमा किया गया. लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी. वे हर गुरुवार
को डीएम के जनता दरबार में पूरे सबूत के साथ आवेदन दे जांच की मांग करते
रहे.
अक्टूबर, वर्ष 13 में डीएम विनय कुमार ने अरेराज के एसडीओ शम्भूशरण पांडे
को जांच कर रिपोर्ट भेजने का निर्देश दिया. एसडीओ श्री पांडे ने पंचायत
में अनियमितता की जांच के लिए रईसुद्दीन खान को विशेष कार्यपालक
दंडाधिकारी नियुक्ति किया. उन्होंने 35 लाख रुपये की विकास राशि वाले
बीआरजीएफ व मनरेगा के तहत नौ योजनाओं के मद में खर्च राशि की जांच की.
कार्यपालक दंडाधिकारी ने 20 अक्टूबर, वर्ष 13 को एसडीओ को जांच रिपोर्ट
सौपी. इसमें गंभीर अनियमितता का उल्लेख किया गया था. इससे पहले कि
दोषियों पर कोई कार्रवाई हो पाती उपमुखिया के पैर में गोली मार घायल कर
दिया गया. इस मामले में दर्ज प्राथमिकी में मुखिया समेत अन्य छह समर्थक
अभियुक्त बने.
और जांच रिपोर्ट का मुद्दा ठंडे बस्ते में डाल दिया गया. हार थककर
सीजीएम, मोतिहारी के यहां भी मुकदमा दर्ज कराया गया. जून, वर्ष 14 में
एसडीओ कार्यालय के कर्मचारियों की बदौलत उपमुखिया को कार्यपालक
दंडाधिकारी की जांच रिपोर्ट की कॉपी हाथ लगी. इसके मुताबिक 35 लाख की
राशि वाले नौ योजनाओं में मुखिया, रोजगार सेवक, कनीय अभियंता, संवेदक की
मिलीभगत से आधे अधूरे काम करा या बगैर काम कराए ही अस्सी प्रतिशत राशि की
निकासी कर ली गई है. जांच रिपोर्ट में अनियमितता पाए जाने के बावजूद
दोषियों पर प्राथमिकी क्यों नहीं दर्ज कराई गई? इस बाबत पूछे जाने पर
अरेराज के एसडीओ शम्भूशरण पांडे कोई माकूल जवाब नहीं दे पाए.
यहां के वरीय समाजसेवी प्रभात बताते हैं कि सूबे में फैली भ्रष्ट
अफसरशाही पंचायती राज व्यवस्था सुशासन की राह में बड़ा रोड़ा है. अनियमितता
के खिलाफ आवाज उठाने वाले ही फर्जी मुकदमे में फंसाए जा रहे है.
दुर्भाग्य की बात है कि किसी ज़माने में जिस पंचायत की लोकप्रियता सुन
विनोबा भावे, जय प्रकाश नारायण, कुलदीप नैय्यर, प्रकाश झा जैसे शख्स इस
धरती पर आ चुके हैं. आज यहां स्वच्छ पेय जल, नालियों का अभाव है. पिछले
दस वर्ष में गांव में विकास के नाम पर ढेला बराबर खर्च नहीं हुआ है. काफी
ढाई दशक पहले बनी गांव की मुख्य पक्की सड़क अब बुरी तरह टूट चुकी है.
इधर, उपमुखिया श्री सिंह का कहना है की भ्रष्टाचार की खिलाफ इस जंग में
उनका खाद व्यवसाय चौपट हो गया. कई तरह की सामाजिक परेशानियां झेलनी पड़ीं.
लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी है. और न्याय मिलने तक उनका संघर्ष जारी
रहेगा. उन्होंने बताया कि जिले के नए डीएम अभय कुमार सिंह से उन्हें काफी
आशा है. उन्हीं से मिलकर फिर से फरियाद लगाएंगे. यदि किसी को इस मामले
में विशेष जानकारी लेनी हो तो कनछेदवा पंचायत के उपमुखिया बृजकिशोर सिंह
से मो. न. 9934491285 पर संपर्क कर सकते हैं.
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