शनिवार को पटना में राइट टू फूड के मुद्दे पर आयोजित संगोष्ठी में भ्रष्टाचार पर बात करते हुए दो टॉप आईएएस आपस में ही भिड़ गये.
बीरेंद्र यादव, पटना
आपदा प्रबंधन विभाग के प्रधान सचिव व्यासजी और शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव अमरजीत सिन्हा न सिर्फ अपने अपने विभाग के सबसे बड़े अधिकारी हैं बल्कि सरकार की नजरों में भी ये अपना बड़ा कद रखते हैं लेकिन भ्रष्टाचार जैसे मुद्दें पर इनकी मतभिन्नता से इस कार्यक्रम में मौजूद लोग भी अवाक रह गये.
व्यास जी ने कहा कि महिला प्रतिनिधियों का पूरा काम उनके पति या परिजन करते हैं और भ्रष्टाचार में उनकी भागीदारी पुरुषों से कम नहीं होती है जबकि अमरजीत सिन्हा ने कहा कि भ्रष्चाचार की असल वजह प्रक्रियागत खामियां हैं.
उन्होंने कहा कि पीडीएस में प्रक्रियागत खामियों की वजह से भ्रष्टाचार बढ़ता है.
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए सामाजिक कार्यता सुधा वर्गीज ने कहा कि पीडीएस दुकानों को महिला स्वयं सहायता समूहों को दिया जाए, ताकि भ्रष्टाचार को कम किया जा सके. जबकि इसके बाद व्यासजी ने कहा कि भ्रष्टाचार के मामले में महिला प्रतिनिधि पुरुषों से कम नहीं हैं. महिला प्रतिनिधियों की जगह उनके पति व परिजन की पूरा काम करते हैं. इसलिए पीडीएस को महिलाओं को सौंपना उचित नहीं होगा.
जबकि ठीक इसके विपरित अमरजीत सिन्हा ने कहा कि महिला स्वयं सहायता समूह की सदस्य अपने कार्यों के प्रति उत्तरदायी होती हैं.उन्हें अपने मान-अपमान का डर होता है.इसलिए पीडीएस को महिला समूहों को सौंपने से भ्रष्टाचार कम हो सकता है.
दो आईएएस अधिकारियों के विचारों की टकड़ाहट के बीच सामाजिक कार्यकर्ता महेंद्र यादव ने कहा कि स्वयं सहायता समूह की महिलाएं और महिला प्रतिनिधियों की कार्यशैली में काफी अंतर है. स्वयं सहायता समूह की महिलाएं अपने दायित्व व जिम्मेवारियों को लेकर काफी जागृत होती हैं. उन्होंने कहा कि पीडीएस में भ्रष्टाचार का मुख्य कारण प्रक्रियागत खामी है.