नौकरशाही के अंदर फैले भ्रष्टाचार का पर्दा फाश करने वाली एजेंसी विशेष निगरानी ईकाई एपसी, डीएसपी स्तर के अधिकारियों की भारी किल्लत है. संविदा पर नियुक्ति के लिए उसे अफसर नहीं मिल रहे हैं.
सीबीआई से हाल के दिनों में रिटायर एसपी स्तर के तीन अधिकारी बिहार की विशेष निगरानी इकाई (एसवीयू) को नहीं मिल रहे। पिछले दिनों विभाग ने अधिकारियों को संविदा पर नियुक्त करने के लिए साक्षात्कार का आयोजन किया था। लेकिन एक भी अधिकारी नहीं मिले।
एसवीयू में पहले से काम कर रहे सीबीआई से रिटायर हुए एसपी स्तर के तीन अधिकारियों की संविदा भी शीघ्र समाप्त होने वाली है।
विशेष निगरानी इकाई के काम
भ्रष्टाचार में शामिल बड़े नौकरशाहों की काली कमाई की जांच के लिए राज्य सरकार ने निगरानी विभाग के अधीन विशेष निगरानी इकाई का वर्ष 2008 में गठन किया था।
इस नई एजेंसी में सीबीआइ में काम कर चुके एसपी व एएसपी स्तर के वैसे अधिकारियों को संविदा पर नियुक्त करने का फैसला लिया गया जिन्हें आय से अधिक संपत्ति के मामलों की जांच का विशेष अनुभव प्राप्त हो।
एसवीयू ने अपने गठन के बाद राज्य में भ्रष्टाचार के सागर में तैरने वाली कुछ बड़ी मछलियों को अपने जाल में फांसने में सफलता पाई है। इनमें राज्य के पूर्व डीजीपी नारायण मिश्र, लघु जल संसाधन विभाग के तत्कालीन सचिव एसएस वर्मा समेत कई मुख्य व अधीक्षण अभियंताओं के अलावा राजभाषा विभाग के पूर्व निदेशक शामिल हैं।
एसवीयू के पास आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने वाले बड़े लोकसेवकों के खिलाफ डेढ़ दर्जन मामले जांच को लंबित हैं।
रिपोर्ट दैनिक जागरण