नौकरशाही डॉट इन को पता चला है कि लम्बी खामोशी के बाद बिहार का निगरानी विभाग अगले कुछ दिनों में टॉप लेवल के भ्रष्ट अफसरों को ट्रैप करके हाहाकार मचाने की तैयारी में है. पढ़िये एक्सक्लुसिव रिपोर्ट

एडीजी निगरानी, रवींद्र कुमार: भ्रष्टाचार के खिलाफ अभियान के नीतिकार
एडीजी निगरानी, रवींद्र कुमार: भ्रष्टाचार के खिलाफ अभियान के नीतिकार

इर्शादुल हक, सम्पादक नौकरशाही डॉट इन

निगरानी के टॉप नेतृत्व ने इस अभियान को सफलतापूर्वक अंजाम तक पहुंचाने के लिए तेज तर्रार अफसरों को पिछले कुछ महीनों में विभिन्न जिलों से बाजाब्ता तौर पर बुलाया है. सूत्र बताते हैं कि विभाग ने इसके लिए जबर्दस्त होमवर्क भी कर लिया है.किसी भ्रष्ट अफसर को ट्रैप में लेने से पहले विभाग को हर तरह से आश्वस्त होना पड़ता है कि कहीं उसका वार खाली न जाये. इस बात के मद्देनजर उसे हर पहलुओं पर गंभीरता से होमवर्क करके कदम बढ़ाना होता है. इस अभियान के लिए निगरानी ने पिछले दो महीनों में काफी  अनुसंधान कर रखा है. विभाग ने फिलहाल कोई आ धा दर्जन भ्रष्टाचारियों को निशाने पर ले रखा है. सूत्रों के अनुसार इनके ठिकाने और गतिविधियों पर बारीकी से नजर रखी जा रही है.

निगरानी ने इस वर्ष अभी तक 14 रिश्वतखोरों को ट्रैप किया है. इनमें बिहार प्रशासनिक सेवा के स्तर तक के ही रिश्वतखोर अफसर शामिल हैं. लेकिन प्रस्तावित अभियान में बड़ी मछलियों को टारगेट किया गया है. जाहिर है इनमें नौकरशाही के टॉप लेवल के भ्रष्ट अफसरान निशाने पर होंगे.

छवि संवारने की तैयारी

चूंकि पिछले कुछ महीनों में आम जनता में यह बात तेजी से फैली है कि निगरानी विभाग बड़े और पावरफुल भ्रष्ट अफसरों के गिरेबान तक नहीं पहुंचती या पहुंचने में कतराती है, इसलिए वह अब अपनी छवि को सर्वग्राही बनाना भी चाहती है. पिछले वर्षों में आम जनता की उम्मीदें निगरानी विभाग से काफी बढ़ी भी हैं. ऐसे में निगरानी विभाग को अपनी छवि जनता के अनुरूप बनाने की चुनौती भी है. इसके लिए निगरानी विभाग के अनुसंधान कक्ष में गंभीर मंथन और अनुसंधान चल रहा है. खबर तो यहां तक है कि निगरानी की टीम वैसे भ्रष्टाचारियों के ठिकानों की फिल्मिंग भी कर चुकी है.

राजनीतिक नेतृत्व की हरी झंडी

भ्रष्टाचार के खिलाफ 2010 में नये अधिनियम बनने के बाद भ्रष्ट लोकसेवकों के विरुद्ध कार्रवाई के लिए चूंकि निगरानी को काफी अधिकार मिल गयें हैं और सरकार ने स्पष्ट कर रखा है कि वह भ्रष्टाचारियों के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति अपना रही है, ऐसे में विभाग ने जोरदार तरीके से आगे बढ़ने की कार्रवाई शुरू कर दी है. पिछले चार वर्षों में निगरानी ने 43 वाद दायर किये हैं और इसके तहत 35 करोड़ करोड़ निहित हैं. निगरानी द्वारा भ्रष्ट लोकसेवकों को पकड़ने के बाद उन पर अदालती कार्रवाई चलती है. यह एक लम्बी प्रक्रिया है. फिर भी 2006 से 2010 के बीच 25 भ्रष्ट लोक सेवकों को सजा हो चुकी है जबकि 2011 में 11 भ्रष्ट अफसरों को जेल की सजा हुई और वे सलाखों में सजा काट रहे हैं. इसी तरह 2014 में अभी तक14 भ्रष्ट लोक सेवकों को ट्रैप किया जा चुका है और इन पर अदालती सुनवाई जारी है.

 

चूंकि भ्रष्टाचार एक गंभीर समस्या है और इसका डायेरेक्ट प्रभाव आम लोगों पर पड़ता है इसलिए राजनीतिक नेतृत्व के लिए भी यह अभियान काफी महत्वपूर्ण है. इससे सरकार को जनता के बीच अपनी छवि चमकाने का मौका भी मिलता है. ऐसे में अपनी छवि के प्रति सचेत राजनीतिक नेतृत्व ने भी निगरानी विभाग को आगे बढ़ने की हरी झंडी दिखा दी है. बस इंतजार कीजिए.

लोकसेवकों के भ्रष्टाचार के खिलाफ अगर आपके पास कोई सूचना है तो हमें [email protected] पर भेजें. हम पूरी गोपनीयता बरतते हैं

फोटो साभार नीति सेंट्रल डॉट कॉम

By Editor


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