उच्चतम न्यायालय ने आज केन्द्र सरकार से पूछा कि आधार कार्ड को वैकल्पिक बनाने के उसके आदेश का उल्लंघन करते हुए उसने किस प्रकार आधार कार्ड को अनिवार्य बना दिया है । इस पर केन्द्र सरकार के शीर्ष विधि अधिकारी महान्यायवादी मुकुल रोहतगी ने न्यायालय को अवगत कराया कि यह पाया गया है कि कुछ फर्जी कंपनियों में धनराशि भेजने के लिए भारी संख्या में पैन कार्डों का धड़ल्ले से इस्तेमाल किया जा रहा है। इस धोखाधड़ी को रोकने का एकमात्र उपाय यही पाया गया कि पैन कार्ड बनाए जाने के लिए अब आधार कार्ड अनिवार्य कर जाए ।
गौरतलब है कि अपने पिछले आदेश में उच्चतम न्यायालय ने कहा था कि किसी भी सरकारी योजना के लिए आधार कार्ड अनिवार्य होने के बजाए केवल वैकल्पिक होना चाहिए। न्यायालय ने केन्द्र से यह भी पूछा है कि आखिर आधार कार्ड को अनिवार्य बनाए जाने के उसके इस कदम से फर्जी पैन कार्डों तथा राशन कार्डों पर किस तरह से रोक लग पाएगी । न्यायमूर्ति ए के सीकरी ने सवाल किया कि क्या इस समस्या से निपटने का यही इलाज है? लोगों को जबरन आधार कार्ड के लिए मजबूर किया जा रहा है? श्री रोहतगी ने न्यायालय से कहा कि बड़ी संख्या में फर्जी पैन कार्ड और राशन कार्ड बन गये हैं, जिनसे वित्तीय लेनदेन में गड़बड़ी की जा रही है और ये कार्ड फर्जी पहचान पत्रों के आधार पर बनाए जा रहे हैं । उन्होंने कहा कि ‘‘विधायी जनादेश” के कारण ही धारा 139 एए के तहत आधार कार्ड को अनिवार्य किया गया है ।