अल्पसंख्यक मामलों के केंद्रीय मंत्री के रहमान खान ने कहा है कि मुसलमानों की तरक्की में सबसे बड़ी बाधा देश के नौकरशाह हैं.
के रहमान खान नौकरशाही के रवैइए से इतने व्यथित हैं कि उन्होंने यहां तक कहा है कि नौकरशाही अल्पसंख्योकों के मामले को नाकारात्मक रूप से पेश करती है.
दैनिक जागरण से विशेष बातचीत करते हुए के रहमान खान ने कहा कि अल्पसंख्यकों की तरक्की और तालीम में सबसे बड़ा अड़ंगा नौकरशाही है.
के रहमान खान ने कहा “सच कहा जाए तो नौकरशाही संविधान प्रदत्त मौलिक अधिकारों को नकार रही है और वह जो कहती है, सरकारों में उसका प्रतिवाद करने की इच्छाशक्ति नहीं है. प्रधानमंत्री के नए 15 सूत्रीय कार्यक्रम पर नौकरशाही अगर ईमानदारी से अमल कर दे, फिर तो बड़ी समस्या हल हो जाएगी. लेकिन एक भी नौकरशाह ठीक से काम नहीं कर रहा है”.
उन्होंने कहा कि सारे मुख्यमंत्रियों को चिट्ठी लिख चुका हूं. फिर भी (अल्पसंख्यक कार्य) इस मंत्रलय के कार्यक्रमों में किसी की रुचि नहीं है.
फिर भी केंद्र सरकार लोकसभा चुनाव से पहले मुसलमानों के आरक्षण को लेकर नाउम्मीद नहीं है. उसे लगता है कि आरक्षण के पक्ष में उसके पास ठोस तर्क हैं और वह सुप्रीम कोर्ट में जीत जाएगी.
अल्पसंख्यक मामलों के केंद्रीय मंत्री के. रहमान खान ने अल्पसंख्यकों के मसलों पर ‘दैनिक जागरण’ से खुलकर बातचीत की. नौकरियों व उच्च शिक्षा में 4.5 प्रतिशत आरक्षण (सब कोटा) के सवाल पर कहा कि मामला मानव संसाधन विकास मंत्रलय व कार्मिक एवं प्रशिक्षण (डीओपीटी) से जुड़ा है.हम कानून मंत्री और अटॉर्नी जनरल को चिट्ठी लिख इसे आगे बढ़ाने की पैरवी कर रहे हैं.
उन्मुहोंने कहा “झे लग रहा कि सुप्रीम कोर्ट में राहत मिलेगी, क्योंकि पूर्व में केस के तथ्य सही तरीके से नहीं रखे गए थे। क्या वजह है कि केस की सुनवाई में इतना समय लग गया? उन्होंने कहा,‘वजह क्या मैं क्या कहूं? माय हैंड्स आर टाइट (मेरे हाथ बंधे हैं)”.