उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने अपने कैबिनेट सहयोगी जलील मस्तान के बहाने पीएम मोदी को नसीहत देते हुए कहा कि वह अपनी भाषा को मर्यादित रखें.
तेजस्वी ने बिहार के कैबिनेट मंत्री द्वारा कथित तौर पर पीएम मोदी के खिलाफ अभद्र भाषा का इस्तेमाल करने की निंदा करते हुए कहा कि बिहार सरकार के मंत्री द्वारा आदरणीय प्रधानमंत्री को कहे गए शब्दों की मैं कड़ी निंदा करता हूँ। मंत्री पद पर बैठे व्यक्ति को देश के प्रधानमंत्री के प्रति ऐसा नहीं कहना चाहिए। साथ ही आदरणीय प्रधानमंत्री जी से भी अनुरोध करता हूँ कि वो भी किसी राज्य के मुख्यमंत्री का DNA खराब बताना एवं पूर्व प्रधानमंत्री के प्रति लोकतंत्र के सर्वोच्च मंदिर संसद में उन्हीं की उपस्थिति में स्नानघर में रेनकोट पहनकर नहाने जैसे व्यक्तिगत व्यक्तव्यों से कड़ा परहेज करना चाहिए।
वो देश के उच्च पद बैठे ज़िम्मेवार प्रधानमंत्री है अगर वो ऐसी परिपाटी की शुरुआत करेंगे तो निसंदेह भाषाई स्तर और गिरेगा। प्रधानमंत्री जी को स्वंय इस विषय पर सकारात्मक पहल करनी चाहिए।
उधर भाजपा नेताओं ने आबाकारी मंत्री जलील मस्तान द्वारा कथित तौर पर पीएम मोदी को नक्सली कहने का विरोध करते हुए सदन चलने नहीं दिया. जबकि जलील मस्तान ने कहा कि उन्होंने पीएम के खिलाफ कोई अभद्र टिप्पणी नहीं की. मस्तान ने कहा कि अभद्र टिप्पणी तो भाजपा वाले करते हैं. मस्तान ने कहा कि किसी तरह की जांच करा लीजिए हमने ऐसी कोई टिप्पणी नहीं कि.
इस विवाद पर अपना पक्ष रखते हुए तेजस्वी ने कहा कि भाषा का गिरता स्तर निंदनीय एवं चिंतनीय है। अगर सवैधानिक पदों पर बैठे व्यक्ति निम्नस्तरीय एवं असंसदीय भाषा का प्रयोग करेंगे तो यह लोकतंत्र के स्वास्थ्य के लिए खतरे की घण्टी है। फिर चाहे सवैधानिक पद पर बैठा व्यक्ति किसी राज्य का मंत्री हो, केंद्रीय मंत्री हो या फिर प्रधानमंत्री। उन्होंने कहा कि विगत दो-तीन साल से एक पार्टी विशेष के नेता अपने से लोकतान्त्रिक और जानकार किसी ओर को मानते ही नहीं है। वो लोग ही अब दूसरों के चरित्र और राष्ट्रप्रेम का प्रमाणपत्र बांटने लगे है।