शुक्रवार को दोपहस से मचा राजनीतिक तूफान शाम तक जारी रहा. हर तरफ यह खबर अचानक चर्चा में आ गयी कि कुछ चैनल बिहार के मंत्री शाहिद अली खान के आईएसआई से संबंध की खबर चला रहे हैं.
शाहिद अली खान बिहार सरकार में अल्पसंख्यक कल्याण विभाग के मंत्री हैं.
इस राजनीतिक तूफान की तपिश रात होते होते तब ठंड होनी शुरू हुई जब पुलिस मुख्यालय ने आनन-फानन में प्रेस कांफ्रेंस बुलायी. और स्पष्ट किया कि मोतिहारी और सीतामढ़ी के एसपी की रिपोर्ट में कहीं भी इस बात की पुष्टि नहीं हुई कि शाहिद अली का संबंध किसी संदिग्ध से है.
क्या था मामला- जनवरी के दूसरे हफ्ते में एसएसबी की इंटेलिजेंस युनिट ने एक रिपोर्ट में कहा था कि मोतिहारी निवासी जमील अख्तर और मंजूर साई से मंत्री के संबंध हैं. ये दोनों आईएम के लिये काम करते हैं. लेकिन पुलिस मुख्यालय के एडीजी रवींद्र कुमार ने पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि मोतिहारी और सीतामढी के एसपी से इब बारे में जांच करने को कहा गया था.
जांच से यह साबित हुआ है कि इन दोनों का कोई संदिग्ध चरित्र नहीं है. सीतामढ़ी के एसपी ने जांच कर बताया है कि जमील अख्तर पिछले आठ साल बैरगनिया में साइकिल पंचर की दुकान करता है जबकि मोतिहारी एसपी की जांच में कहा गया है कि मंजूर साईं ढ़ाका के पास फुलवारी में राजमिस्त्री का काम करता है.
एडीजी के इस बयान के बाद मामला शांत होने लगा. हालांकि इस मामले में भाजपा नेता सुशील कुमार और राजद के अब्दुल बारी सिद्दीकी ने मांग की है कि मामले की निष्पक्ष जांच होनी चाहिए. इधर लालू प्रसाद ने इस बारे में कहा कि वह शाहिद अली खान को निजी तौर पर जानते हैं उनके ऊपर शक करना ठीक नहीं है. मालूम हो कि शाहिद अली सिद्दीकी लालू के मुख्यमंत्रित्व काल में उनकी पार्टी के ही विधायक थे.