गुरुवार को वेतन और मदरसों के एफिलिएशन की मांग कर रहे मदरसा शिक्षकों को दौड़ा-दौड़ा कर बेरहमी से पीटे जाने के बाद राज्य की राजनीति उबाल पर आ गयी है. अनेक राजनीतिक और सामाजिक संगठनों ने इसे सरकार के शहर पर पुलिस की गुंडगर्दी बताया है.
नौकरशाही न्यूज
प्रदर्शनकारी मदरसा शिक्षकों की पिटाई से 35 शिक्षक घायल हुए हैं जबकि तीन की हालत गंभीर है और उन्हें पीएमसीएच में भर्ती कराया गया है.
समाज बचाओ आंदोलन के नेता काशिफ युनूस लगातार तीन दिनों तक मदरसा शिक्षकों के आंदोलन के समर्थन में डटे रहे. काशिफ ने कहा है कि सरकार मदरसा आधुनिकीकरण और एफिलिएशन के नाम पर पांच सालों से करोड़ो रुपये रोक कर रखा है लेकिन इन पैसों से मदरसों के मोडर्नाइजेशन का काम नहीं हुआ. जब यह अपने वेतन और मदरसों के एफिलिएशन की मांग के लिए आंदोलन पर आये तो इन्हें पीट पीट कर कचूमर निकाला गया.
अनेक दल समर्थन में कूदे
उधर गुरूवार को ही जनता द राष्ट्रवादी के राष्ट्रीय संयोजनक अशफाक रहमान ने अपनी पार्टी के अनेक नेताओं को इस प्रदर्शन के समर्थन के लिए भेजा. जनता दल राष्ट्रवादी के नेता मेराज खान भी उस समय मोजूद थे जब शिक्षकों पर बे रहमी से लाठियां बरसायीं गयीं. जेडीआर के नेता ने कहा कि नीतीश सरकार की पुलिस अंग्रेजी हुकूमत से भी ज्यादा बर्बर नजर आ रही थी. गुरुवार को गर्दनीबाग में हुए लाठीचार्ज में लगभग 35 शिक्षक घायल हो गए। अब्दुल हन्नान, फैयाज अहमद, वहाब समेत पांच को पीएमसीएच भेजा गया। इनमें तीन शिक्षक बेहोश हो गए। इनकी हालत गंभीर बनी हुई है। शिक्षक और पुलिस की इस भिड़ंत में 11 सिपाही भी जख्मी हो गए, जिनमें तीन की हालत गंभीर है।
क्या है मामला
लाठी चार्ज की खबर सुनते ही हिंदुस्तान अवामी मोर्चा के अनेक नेता भी वहां पहुंचे. इसका नेतृत्व वृशिन पटेल कर रहे थे. इसके बाद जन अधिकार पार्टी के संयोजक पप्पू यादव भी मौके पर पहुंच कर मदरसा शिक्षकों के प्रति अपना समर्थन जताया.
ध्यान रहे कि नीतीश कुमार की कैबिनेट ने वर्ष2010 में 2460 मदरसों को मान्यता देने और शिक्षकों को वेतन देने की घोषणा की थी. इसके लिए बजट में रुपये का प्रावधान भी किया गया था. लेकिन पांच साल बीत जाने के बाजूद अब तक मात्र 205 मदरसों को ही मान्यता दी गयी. इस कारण मदरसा शिक्षकों में रोष है .
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