मदरसों में आधुनिक, रोजगारपरक तथा धर्मनिरपेक्ष शिक्षा को बढ़ावा देने की आवश्यकता
मुस्लिम समुदाय का बुद्धिजीवी सुधारवादी तथा नेता वर्ग मदरसों में धर्म निरपेक्ष, आधुनिक और रोजगार परक शिक्षा की कमी पर बात करते समय कुल मिलाकर मुसलमानों की स्वतंत्रता प्रगति तथा उनके सशक्तिकरण को लेकर चिंता व्यक्त करता है.
कुछ मुसलमान अपने साथ पर्याप्त भेदभाव किए जाने की शिकायत करते हैं. लेकिन सच तो यह है कि मुस्लिम आधुनिक शिक्षा में पिछड़े हुए हैं. यही कारण है कि वह नौकरियां और अन्य उद्यमों के अवसरों का लाभ प्राप्त करने से वंचित रह जाते हैं. जबकि अन्य समुदाय के लोग इसका उपयोग कर लेते हैं.
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आधुनिक शिक्षा की जरूरत
हालांकि अब कुछ मुस्लिमों ने अंग्रेजी विकास संस्थानों की स्थापना करके धर्मनिरपेक्ष शिक्षा के क्षेत्र में प्रवेश किया है. लेकिन उनका यह प्रयास अभी तक सफल नहीं हो सका है.
यह सभी मुस्लिम संस्था ऐसे-ऐसे अल्पविकसित केंद्रों के तौर पर कार्य कर रहे हैं जो आधुनिक समय में मुस्लिम युवाओं को शिक्षित बनाने के लक्ष्य के आगे नहीं बढ़ पाए हैं. हालांकि लोगों को धार्मिक शिक्षा से जोड़ने के लिए मदद्देनजर अच्छी सेवाएं दे रही है
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लेकिन यह एक अधूरी उपलब्धि है और इसलिए उक्त पाठ्यक्रमों को उपलब्धि पर सक्रिय बनाने के लिए कुछ उन्नत किए जाने की जरूरत है. कभी-कभी मुस्लिमों का एक वर्ग अपनी अर्ध विकसित परिस्थितियों के लिए प्रशासन को जिम्मेदार ठहराता है लेकिन यह एक गलत अवधारणा है.
कुरान क्या कहता है
कुरान में आयत है जो यह कहती है मनुष्य को सिर्फ वही मिलता है जिसे पाने के लिए श्रम किए हो. इस आयत से यह अर्थ निकाला जा सकता है कि हर व्यक्ति को अपने प्रयासों के अनुसार ही सफलता मिलती है.
ऐसे में यह अनिवार्य है कि मौजूदा शिक्षा पद्धति, विशेष कर मदरसों में एक नई शुरुआत के तौर पर एक ऐसी शिक्षा की व्यवस्था की जानी चाहिए जो युवाओं को रोजगार दिला सके. तथा इसे वैश्विक विकास के साथ उन्हें जोड़कर विविध प्रकार के अवसर उपलब्ध कराया जा सके.