प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मनतंत्र और मनीतंत्र को देश के लोकतंत्र के लिए खतरा करार देते हुए आज कहा कि कुछ लोग संसद जैसी संस्था को नकारने में जुटे हैं, जिससे गरीबों का हक मारा जा रहा है। श्री मोदी ने दिल्ली में एक कार्यक्रम में कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि कुछ लोग मनतंत्र (मनमर्जी) से देश चलाना चाहते हैं, लेकिन उन्हें यह जान लेना चाहिए कि मनतंत्र से देश नहीं चलता।
उन्होंने कहा कि यह दुर्भाग्य की बात है कि संसद चलने नहीं दिया जा रहा है। यदि संसद जैसी संस्था को ही नकार दिया जाएगा तो फिर लोकतंत्र का क्या होगा? प्रधानमंत्री ने कहा कि संसद में गरीब मजदूरों के हितों से जुड़ा बोनस एवं पेंशन विधेयक फंसा है, लेकिन संसद की कार्यवाही न चलने से उन गरीबोंं का हक मारा जा रहा है। उन्होंने कहा, “जीएसटी (वस्तु एवं सेवा कर) विधेयक पर चर्चा जब होगी, तब होगी लेकिन कम से कम इन गरीबों का ख्याल तो रखा जाना चाहिए था, जिनका हक संसद ठप होने से मारा जा रहा है।”
प्रधानमंत्री ने कहा कि देश के समक्ष दो खतरे हैं- मनतंत्र और मनीतंत्र। उन्होंने कहा, “कुछ लोग चाहते हैं कि सब कुछ उनकी मर्जी से चले, वे जो चाहें, वैसा करें, लेकिन लोकतंत्र में मनमर्जी नहीं चलती। मनतंत्र से लोकतंत्र नहीं चलता। मनतंत्र से देश नहीं चलता। जनतंत्र से देश चलता है।” उन्होंने कहा, “मनतंत्र की पहली शर्त होती है, मन में जो कुछ भी हो उसे व्यवस्था के साथ जोड़ो। हमें सामंजस्य बिठाना पड़ता है। यदि आवश्यकता पड़े तो अपनी भावनाओं को दबाना भी पड़ता है।