इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश के बद सीबीआइ ने यूपी के सात जिलों में मनरेगा में करोड़ों रुपये के घोटाले पर एफआइआर दर्ज कर लिया है. ये घोटाले मायावती के कार्यकाल के हैं.
शुक्रवार को दर्ज रिपोर्ट में महोबा, कुशीनगर, बलरामपुर, गोंडा, सोनभद्र, संतकबीरनगर और मिर्जापुर में वर्ष 2007 से 2010 की अवधि में तैनात रहे सीडीओ, प्रोजेक्ट डायरेक्टर, बीडीओ को आरोपी बनाया गया है.
सीबीआइ सूत्रों के मुताबिक सोनभद्र बलरामपुर, महोबा, कुशीनगर व गोंडा के घोटालों की जांच लखनऊ स्थित सीबीआइ की भ्रष्टाचार निरोधक इकाई करेगी जबकि मीरजापुर की सीबीआइ की स्पेशल ब्रांच व संतकबीर नगर में हुई गड़बड़ी की जांच देहरादून की एंटी करप्शन ब्रांच करेगी.
मालूम हो कि बलरामपुर में महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोजगार गारंटी योजना के विभिन्न मदों में 181 रुपए की आर्थिक हेराफेरी की गयी थी.इसी प्रकार गोंडा में वित्तीय नियमों को दर किनार कर सामर्ग्री खरीदी गयी और आरोपितों को बचाने का प्रयास किया गया था. जबकि महोबा में ऐसी फर्म को भुगतान हुआ जिनके पास लाइसेंस भी नहीं थे.
कुशीनगर में जिन अधिकारियों के खिलाफ घोटाले के आरोप प्रथम दृष्टया दिख रहे थे, उनके खिलाफ भी कार्रवाई नहीं हुई. दूसरी तरफ मीरजापुर में सामान की खरीदारी में फर्जी कोटेशन पर भुगतान किया गया था.
मालूम हो कि इन मामलों में केंद्रीय ग्रामीण मंत्री जय राम रमेश ने भी राज्य सरकार से सीबीआई जांच कराने को कहा था पर मायावती सरकार ने जांच स्थानीय एजेंसी को सौप दी थी.