क्लर्क से करियर शुरू कर संयुक्त सचिव तक पहुंचना आपको करामाती न लगे तो न सही पर यह जान लेना दिलचस्प है कि आज पश्चिम बंगाल के नौकरशाही तंत्र और ममता बनर्जी के बीच कोई सबसे प्रभावशाली व्यक्ति है तो वह हैं गौतम सान्याल.
गौतम सान्याल एक ऐसा नाम है जो भरोसेमंदी की कसौटी पर खरा उतरने की बदौलत किसी प्रशासनिक दायरे का मोहताज नहीं है. वह पश्चिम बंगाल के पहले ऐसे गैरप्रशासनिक पदाधिकारी है जो मुख्यमंत्री बनर्जी के सचिव हैं जबकि वह 2011 में ही रिटायर कर चुके हैं.
दर असल गौतम सान्याल ममता बनर्जी के आंख और कान हैं. वह सान्याल पर कितना भरोसा करती हैं इस बात का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि जब ममता 2009 में रेल मंत्री बनीं तो उन्होंने सान्याल को रेल मंत्रालय में ओएसडी यानी ऑफिसर ऑन स्पेशल ड्युटी बना दिया.
सान्याल ममता की परछाई माने जाते हैं. पर उनकी पहचान सिर्फ इतनी सी नहीं है. न सिर्फ ममता उन पर आंख मूंद कर भरोसा करती हैं बल्कि किसी थाने में दारोगा की तैनाती से लेकर बड़े से बड़े धुरंधर आईएएस-आईपीएस की औकात भी सान्याल की मदद से ही ममता तय करती हैं.
गनी खान चौधरी की खोज
सच मानिए तो सान्याल की कहानी गनी खान चौधरी से शुरू होती है. आपको याद होगा कि एक दौर में पश्चिम बंगाल के वरिष्ठ कांग्रेसी नेता गनी खान चौधरी रेल मंत्री हुआ करते थे.चौधरी साहब को एक ऐसे अधिकारी की तलाश थी जो बांग्ला भाषी हो. तभी से सान्याल की किस्मत का पिटारा खुल गया. उन्होंने सान्याल को, जो अपर डिविजन क्लर्क हुआ करते थे को अपने पास रख लिया.
दर असल सान्याल और ममता का साथ 1999 से ही है, जब वह पहली बार 1999 में बाजेपयी सरकार में रेलमंत्री बनी थीं. ममता और सान्याल का यह साथ आज 13 सालों में आपसी भरोसे की बुलंदियों पर पहुंच चुका है. इसलिए जब ममता मुख्यमंत्री बनीं तो रिटायर हो चुके सान्याल को उन्होंने याद किया और अपनी कोर टीम का सदस्य बना लिया.
सान्याल आज मुख्यमंत्री के सचिव हैं. पर उनकी नियुक्ति, दर्जनों आईएएस अधिकारियों को खलती है. इसकी कई वजहों में एक तो यह है कि सान्याल उन नौकरशाहों के अधीन काम करचुके हैं और अब उन्हें ही सान्याल के इशारों पर काम करना होता है. यहां तक की मुख्यसचिव समर घोष के बारे में कहा जाता है कि वह भी उन्हें कतई पसंद नहीं करते, पर दीदी तो दीदी हैं, कोई कर भी क्या सकता है.
आज सान्याल न सिर्फ ममता के सबसे विश्वास पात्र अधिकारियों में सबसे ऊपर माने जाते हैं बल्कि कहा जाता है कि वह निवेश करने वाली बड़ी कम्पनियों से ममता का प्रतिनिधित्व करते हैं बल्कि प्रशासनिक तंत्र पर नियंत्रण की भूमिका भी उनके अधीन है.
(सेन टाइम्स और इंडियन एक्सप्रेस के इनपुट के साथ)