उत्तर प्रदेश में डीएसपी हत्या को अभी कुछ ही महीने हुए कि इलाहाबाद में एएसएचओ को गोलियों से छलनी कर दिया गया आम लोगों की कौन कहे अभी खाकी भी महफूज नहीं.
लखनऊ से सुरिंदर पाल सिंह की रिपोर्ट
बेकाबू हुए हालात को काबू में करने के लिए घटनास्थल पर पहुंचे सीओ की हत्या कर दी जाती है. लुटेरों को पकड़ने के लिए गए एसओ को गोली मारकर मौत के घाट उतार दिया जाता है. यही नहीं उत्तर प्रदेश में खनन माफियाओं के विरूद्ध कार्रवाई करने गए पुलिसकर्मियों और अधिकारियों पर हमले कर दिए जाते हैं.
इलाहाबाद जिले में शुक्रवार को एसओ की हत्या कर बदमाशों ने एक बार फिर खाकी के प्रति अपनी निडरता को उजागर कर दिया.
इससे पहले सहारनपुर जिले में सीओ के अंगरक्षक और पुलिसकर्मी राहुल की हत्या कर दी गई. बरेली जिले में बदमाशों ने सिपाही की गोली मारकर हत्या कर दी. मथुरा जिले में एसओजी टीम के सिपाही की हत्या कर दी गई. लगातार हुई इन घटनाओं के बाद भी महकमा ने कोई ऐसी पहल नहीं की जो बदमाशों के भीतर खाकी का खौफ पैदा करती.
डीजीपी बदलने का भी असर नहीं
इलाहाबाद में शुक्रवार को दिनदहाड़े की गई एसओ आर.पी. द्विवेदी की हत्या को महकमे की लापरवाही और शिथिल कार्यप्रणाली का सबब ही कहेंगे. प्रदेश में बीते दिनों जिस तेजी के साथ बिगड़ती कानून-व्यवस्था के ग्राफ में उछाल आया उसको संज्ञान में लेते हुए भले ही सत्ताधारी पार्टी ने सूबे के तत्कालीन पुलिस महानिदेशक एस.सी.शर्मा को पद से हटाकर वर्तमान डीजीपी देवराज नागर को प्रदेश पुलिस की कमान सौंपी पर हालात आज भी जस के तस हैं.
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प्रतापगढ़ के कुण्डा इलाके में दो मार्च को जिस क्रूरता के साथ सीओ जिया-उल-हक की हत्या की गई उसके बाद भी पुलिस महकमे में उच्च पदों पर आसीन अधिकारियों के कानों जूं तक नहीं रेंगी. इसका नतीजा यह हुआ कि बदमाशों के भीतर वर्दी का जो रहा-सहा खौफ था वह भी नदारद हो गया.
अगर महकमे ने वक्त रहते कोई कदम उठाए होते तो एसओ आर.पी.द्विवेदी को यूं बदमाशों की गोली का शिकार नहीं होना पड़ता.
प्रश्न यह भी है कि एसओ आर.पी.द्विवेदी की शहादत को महकमा संज्ञान में लेते हुए बदमाशों के खिलाफ कोई सख्त कदम उठाएगा या फिर इसी तरह बदमाश अपनी गोलियों से खाकी को छलनी करते रहेंगे?
प्रदेश की सत्ता पर काबिज समाजवादी पार्टी आए दिन कानून-व्यवस्था को दुरूस्त करने और प्रदेश में सुशासन कायम होने के दावे करती है. सरकार के इन दावों में कितनी सच्चाई है इस बात का अंदाजा सूबे में आए दिन दस्तक देने वाली ऐसी सनसनीखेज़ वारदातों से बाखूबी लगाया जा सकता है.बदमाशों के हौंसले इस कदर बुलन्द हो चुके हैं कि उनके भीतर अब खाकी का रत्ती भर भी डर नहीं रहा.
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