वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव को लेकर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के अगले राजनीतिक कदम के ‘कयास’ ने न सिर्फ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन में सरगर्मी बढ़ा दी है बल्कि महागठबंधन के दो अहम घटक राष्ट्रीय जनता दल और कांग्रेस के सुर भी बिगाड़ दिये हैं।
मुम्बई में इलाज करा रहे राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव की मिजाजपुरसी के लिए जनता दल यूनाइटेड के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के फोन पर बात करने की खबर और उससे पहले के कुछ बयानों के कारण उनके अगले राजनीतिक कदम को लेकर कयासों का दौर शुरू हो गया है। श्री कुमार के अगले राजनीतिक कदम को लेकर जहां राजग के घटक दल थोड़े सशंकित नजर आ रहे हैं, वहीं महागठबंधन के दो प्रमुख घटक राजद और कांग्रेस एक दूसरे के खिलाफ खड़े दिख रहे हैं।
राजद प्रमुख श्री यादव के छोटे पुत्र और प्रतिपक्ष के नेता तेजस्वी प्रसाद यादव के उस बयान पर कांग्रेस ने आज कड़ी आपत्ति जतायी जिसमें कहा गया था कि श्री कुमार के लिए महागठबंधन का दरवाजा बंद है। कांग्रेस के विधान पार्षद प्रेम चन्द्र मिश्रा ने कहा कि तेजस्वी यादव नेता प्रतिपक्ष के तौर पर अच्छा काम कर रहे हैं लेकिन उन्हें गठबंधन के संबंध में बयान देते समय संयम बरतना चाहिए। गठबंधन में कौन शामिल होगा इसका फैसला कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी और राजद के राष्ट्रीय अध्यक्ष करेंगे। इसलिए, इस मामले में बेवजह की बयानबाजी ठीक नहीं है।
कांग्रेस विधायक शकील अहमद ने भी राजद नेताओं को हिदायत दी कि वह जिद की राजनीति नहीं करें। राजनीति व्यवहारिकता और संयम से चलती है। वहीं, सूत्रों के अनुसार राजद नेता तेजस्वी प्रसाद यादव कांग्रेस के प्रदेश नेताओं की बयानबाजी से नाराज बताये जा रहे हैं। श्री यादव ने पिछले मंगलवार को संवाददाता सम्मेलन में साफ शब्दों में कह दिया था कि श्री नीतीश कुमार के लिए महागठबंधन का दरवाजा हमेशा के लिए बंद है और इस मुद्दे पर उनकी पार्टी सहयोगी दल के दबाव को भी नहीं मानेगी।