महाराष्ट्र में गोमांस पर पाबंदी के बाद एक नयी चुनौती सामने आ गयी है जिसके नतीजे में मुम्बई के नेशनल पार्क के शेरों को भी चिकेन पर सब्र करना पड़ा रहा है. ऐसा इसलिए भी है कि मांस के आपूर्तिकर्ताओं ने हड़ताल कर दी है.lions

 

मुम्बई के संजयगांधी   नेशनल पार्क में शेर, चीता और बाघों को बीफ पर लगी पाबंदी का खासा असर होने लगा है.

याद रहे कि पिछले दिनों महाराष्ट्र सरकार ने गाये, बैल और बछड़ों के मांस रखने, बनाने या आपूर्ति करने पर राज्य में पाबांदी लगा दी है.

एक अंग्रेजी वेबसाइट स्क्रॉल से बात करते हुए नेशनल पार्क के वरिष्ठ अफसर संजीब पिंजारकर ने बताया कि उन मांसहारी जानवरों का प्राकृतिक भोजन तो गोमांस ही है. उन्होंने कहा कि चिड़ियाखानों के बाघों और शेरों के लिए भैंस और बैल के मांस ही परोसे जाते रहे हैं.
गौरतलब है कि मुम्बई के इस जू में मासिक 4,500 किलो गोमांस की खपत रही है. हालांकि चिड़ियाखाना के अफसरों का कहना है कि मांस आपूर्तिकर्ताओं की हड़ताल खत्म होने के बाद शेरों के सामने उत्पन्न समस्या कुछ हद तक कम हो जायेगी क्योंकि ऐसी हालत में भैंस का मांस उन्हें उप्लब्द कराया जाने लगेगा.

शेर और चीतों के लिए एक विकल्प खसी और बकरियों के मांस भी हैं लेकिन इसकी कीमत गोमांस और चिकन से चार सौ प्रतिशत से भी ज्यादा है जो नेशनल पार्के के बजट से फिलहाल बाहर है.

 

जू के अफसर ने बताया कि जब कभी बीफ की किल्लत होती है वे लोग शेरों और बाघों के लिए चिकन को ही परोसते हैं.
उनका कहना है कि चूंकि चिकन में प्रोटीन की मात्रा कम होती है इसलिए ऐसी हालत में उन मांसाहारी जानवरों को चिकन की ज्यादा मात्रा देनी पड़ती है.

पिंजारकर का कहना है कि मांसाहारी जानवरों के खाने की हैबिट को बदलना कठिन काम होता है ऐसे में उन्हें चिकन खिलाने में काफी हद तक परेशानियों का सामना करना पड़ता है.

By Editor


Notice: ob_end_flush(): Failed to send buffer of zlib output compression (0) in /home/naukarshahi/public_html/wp-includes/functions.php on line 5427