पटना के कारगील चौक पर निर्भया के सम्मान में कैंडल मार्च का आयोजन किया गया. इस कार्यक्रम का आयोजन समन्वय समित बिहार द्वारा शनिवार को किया गया.
इस कार्यक्रम के साथ बिहार में “उमड़ते सौ करोड़” कि शुरुआत हुई. कार्यक्रम में बिहार में कार्यरत सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधि, सामाजिक कार्यकर्ता, बुद्धिजीवी, मीडिया प्रतिनिधि एवं नगर समाज के लोगों ने भाग लिया और हर प्रकार के शोषण के प्रति एकजुटता जाहिर की एवं ज्योति सिंह (निर्भया ) हेतु न्यायिक प्रक्रिया को जल्द पूरी करने की मांग की.
सनद रहे की उमड़ते सौ करोड़ एक विश्वस्तरीय अभियान है जो 2013 में शुरू हुआ. इसका मुख्य उद्देश्य है लड़कियों और औरत के खिलाफ होने वाली हिंसा रोकना.
कैंडल मार्च का नेतृत्व सहयोगी की संस्थापिका रजनी, सोशल एक्टिविस्ट कंचन बाला ने किया. इस अवसर पर रेशमा कीर्ति मिश्रा व नीलू समेत अन्य लोग मौजूद थे.
संयुक्त राष्ट्र के 2012 के आंकड़ों के अनुसार विश्व में 100 करोड़ महिलायें हिंसा की शिकार है या हिंसा के भय से जी रही हैं. या सबसे अधिक सर्वव्यापी महामारी है. सवाल यह है की सरकार, समाज, परिवार इसके बारे में चुप क्यों है ?
उमड़ते सौ करोड़ अभियान इस चुप्पी को चुनौती देने के साथ जवाबदेही की ओर बढ़ रहा है. 2013 में हमारा नारा था – उठो, उमड़ो, नाचो. 2014 में हम इंसाफ के लिए खड़े हुए. 2015 में हमने क्रांति का नारा दिया और 2016 में इस क्रांति अभियान को और सशक्त बनाने की साजिश की.
2017 में एकजुट हो रहे हैं “महिला पर शोषण और प्राकृति के दोहन के खिलाफ”. इस साल, इस आन्दोलन की पहुँच शोषण के विरोध में एक विश्वव्यापी सशक्त आवाज है. एकजुटता का समागम है. आगाज है जो अंजाम मांगता है