महिषासुर मामले पर कवरेज

महिषासुर प्रसंग पर संसद में बहस के दौरान चर्चा में आयी पत्रिका फारवर्ड प्रेस का प्रिंट संस्करण का प्रकाशन जून 2016 से बंद हो रहा है. कुछ मीडिया में आरोप लगाया गया था कि  इस पत्रिका ने ही महिषासुर मामले पर समुदायों में तनाव पैदा किया. पत्रिका के सम्पादक प्रमोद रंजन ने इस संबंध में एक बयान जारी किया है.

महिषासुर मामले पर कवरेज
महिषासुर मामले पर कवरेज

उन्होंने अपने बयान में कहा है कि संसद के दोनो सदनों में पिछले तीन दिनों  में ‘महिषासुर’ के प्रसंग में बहसें चलीं हैं तथा विपक्ष के सदस्‍यों के वॉकआऊट व सदन के सथगित होने की घटनाएं हुई हैं। इस संदर्भ में विभिन्‍न समचार माध्‍यमों में फारवर्ड प्रेस को लेकर चर्चा हुई तथा कुछ टीवी चैनलों/ अखबारों ने लिखा है कि सदन में मानव संसाधन विकास मंत्री द्वारा हिंदू देवी दुर्गा के संबंध में जो आपत्तिजनक पर्चा पढा गया, वह फारवर्ड प्रेस से लिया गया है। पत्रिका के संबंध में  इस तरह की अन्‍य दूसरी बातें भी समाचार माध्‍यमों में आयी हैं, जो या पूर्ण्‍ सत्‍य नहीं हैं, या भ्रामक हैं। इस सबंध में तथ्‍य निम्‍नांकित हैं :

लोकसभा में हंगामा

-लोकसभा और राजयसभा में मानव संसाधन मंत्री स्‍मृति इरानी ने जेएनयू में कथित तौर पर 2014  में  लगाया गया जो  पर्चा/ पोस्‍टर पढा, वह फारवर्ड प्रेस में प्रकाशित किसी लेख का अंश नहीं है। वस्‍तुत: यह समझ कि महिषासुर दिवस सिर्फ जेएनयू में मनाया जा रहा है भ्रामक है। देश के 300 से अधिक स्‍थानों पर यह आयोजन होते हैं। पश्चिम बंगाल के कुछ आयोजकों का दावा है कि वे जेएनयू से पहले से ही महिषासुर दिवस मनाते रहे हैं। जाहिर है, जेएनयू समेत किसी भी आयोजन में ‘फारवर्ड प्रेस’ की कोई सीधी भूमिका नहीं होती। हां, हमारे लिए यह प्रसन्‍नता की बात है कि हमारे पाठकों-लेखकों ने मुख्‍यधारा द्वारा विस्‍मृत कर दिये गये एक सांस्‍कृतिक‍ विमर्श को गति दी है। पत्रिका की मंशा है कि भारत की विभिन्‍न परंपराएं और संस्‍कृतियां एक दूसरे का सम्‍मान करें तथा एक दूसरे से सीखें।  (देखें कहां’कहां मनाया जाता है महिषाासुर दिवस -https://www.forwardpress.in/2015/12/four-years-of-a-cultural-movement-hindi/ )

पहले हुई थीं प्रतियां जब्त

-ब्राह्मणवादी संगठनों की  शिकायत पर दिल्‍ली पुलिस ने पत्रिका के ”बहुजन-श्रमण विशेषांक, अक्‍टूबर, 2014” की प्रतियां जब्‍त कर ली थीं तथा संपादकों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया था, जो अभी न्‍यायलयाधीन है। शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया था कि फारवर्ड प्रेस में प्रकाशित हो रहे महिषासुर संबंधी विमर्श से ‘ओबीसी और ब्राह्मणों’ के बीच वैमन्‍य बढ रहा है। हमारा यह विश्‍वास है कि न्‍यायालय में यह आरोप मिथ्‍या साबित होगा।

जारी रहेगा वेब एडिशन

-फारवर्ड प्रेस के प्रिंट संस्‍करण का प्रकाशन जून, 2016 से अपरिहार्य कारणों से बंद‍ किया जा रहा है। इससे संबंधित सूचना पत्रिका के मार्च अंक में प्रकाशित की गयी  है। वह सूचना अटैच है। कृपया देखें। ध्‍यातव्‍य है कि पत्रिका का प्रिंट संस्‍करण भले ही बंद हो रहा हो कि लेकिन इसके साथ ही हम अपनी बेव मौजूदगी को अत्‍यअधिक सशक्‍त भी बनाने जा रहे हैं। इसके अतिरिक्‍त्‍ हम विभिन्‍न सामयिक विष्‍यों पर साल में 24 किताबें प्रकाशित करने की योजना पर भी काम कर रहे हैं। यह सब कदम इसलिए उठाए गये हैं ताकि हम बहुजन विमर्श का और सशक्‍त हस्‍तक्षेप दर्ज करवा सकें।

 

-पत्रिका की इस बार की आवरण कथा है ‘बहुजन विमर्श के कारण निशाने पर है जेएनयू’। पत्रिका के संपादक प्रमोद रंजन द्वारा लिखित इस आवरण कथा में इस पूरे प्रकरण पर विस्‍तार से प्रकाश डाला गया है तथा बताया गया कि किस प्रकार आरएसएस के मुखपत्र ‘पांचजन्‍य’ के 8 नवंबर, 2015 अंक में लगाये गये आरोप फरवरी, 2016 में पुलिस के गुप्‍चर विभाग की रिपोर्ट में बदल गये और फिर उसी आधार पर देश के इस  प्रतिष्ठित उच्‍च अध्‍ययन संस्‍थान को बदनाम करने की साजिश की गयी।

By Editor


Notice: ob_end_flush(): Failed to send buffer of zlib output compression (0) in /home/naukarshahi/public_html/wp-includes/functions.php on line 5427