यह फैसला सिर्फ एक सरकार के फैसले को पलटना भर नहीं है, बल्कि एक ऐसे आदमी के नाम पर इंजीनियरिंग कॉलेज का नाम रखने का है जो चारा घोटाले में सजायाफ्ता हैं. मांझी जी ये आपने क्या किया?
विनायक विजेता
शनिवार को बिहार के मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी के नेतृत्व में हुई कैबीनेट की बैठक में लिए गए कई अहम निर्णय में से एक निर्णय आने वाले दिनों में विवाद में आ सकता है जो मांझी की मुश्किलें बढ़ा सकता है।
वह निर्णय है दरभंगा इंजीनियरिंग कॉलेज का नाम बदल कर मांझी को समर्थन देने वाले कैबीनेट मंत्री नीतीश मिश्र के पिता व पूर्व मुख्यमंत्री ‘डा. जगन्नाथ मिश्र इंजीनियरिंग कॉलेज’ के नाम से नया नामकरण का।
गौरतलब है कि वर्ष 1986 में बिहार में दो इंजीनियरिंग कॉलेज को मान्यता मिली थी जिसमें एक गया स्थित ‘मगध इंजीनियरिंग कॉलेज’ था तथा दूसरा दरभंगा इंजीनियरिंग कॉलेज’ है। चूकि पूर्व मुख्यमंत्री डा. जगन्नाथ मिश्र इसके संस्थापक सदस्य थे इसलिए इसका नाम उन्हीं के नाम पर ‘डा. जगन्नाथ मिश्र इंजीनियरिंग कॉलेज’ कर दिया गया।
नीतीश कुमार ने वर्ष 2008 में अपने मुख्यमंत्रीत्व काल में अपने कैबीनेट की बैठक कर इन दोनों कॉलेजों का नाम बदल दिया ‘मगध इंजीनियरिंग कॉलेज’ का नया नाम जहां ‘गया इंजीनियरिंग कॉलेज’ रखा गया वहीं ‘डा. जगन्नाथ मिश्र इंजीनियरिंग कॉलेज’ का नया नामकरण ‘दरभंगा इंजीनियरिंग कॉलेज’ रखा गया पर शनिवार को मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी के नेतृत्व में कैबीनेट की हुई बैठक में पूर्व मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की कैबीनेट के फैसले को पलटते हुए ‘दरभंगा इंजीनियरिंग कॉलेज’ का फिर से नया नामकरण ‘डा. जगन्नाथ मिश्र इंजीनियरिंग कॉलेज’ के नाम से करने का फैसला ले लिया गया।
यह बिहार जैसे राज्य में पहला वाक्या है कि किसी जिन्दा व्यक्ति या राजनेता के नाम पर किसी सरकारी शिक्षण संस्था का नामकरण का फैसला लिया गया हो वो भी वैसे राजनेता के नाम पर जो बहुचर्चित चारा घोटाले के मामले में नीचली अदालत द्वारा सजायाफ्ता हैं और जेल में रह चुके हैं।