नीतीश से बगावत कर दलितों में हीरोइक इमेज बनाने वाले जीतन मांझी अब भाजपा के रथ पर सवार हैं. ऐसे में उनके एक शुभचिंतक का यह खुला पत्र मांझी के नये इमेज को पेश करता है.
माँझी जी !
आपके साथ जो हुआ। निंदनीय है। उस समय आप त्यागपत्र देने के बजाय आप प्रधानमंत्री से मिलने गए और बीजेपी के हाथ का मोहरा बने। यह भी गलत था। बिहार में हाईप्रोफाइल ड्रामा हुआ उसमें आप भी समान साझीधार थे। सच में बहुत दुख हुआ था उस समय । लेकिन जब आपने ‘ हम’ पार्टी का ऐलान किया, ऐसा महसूस हुआ कि सही ट्रैक पर आप आ रहे हैं । पुरानी गलतियों से सबक भी लेंगे। जनपक्षधर दलित राजनीति को नई दिशा देने के लिए प्रतिबद्ध हैं। आने बाली पीढ़ी के लिए जमीन बनाना चाहते हैं। बहुत सारे सपने थे। मैं फिर गलत साबित हुआ। आपकी पक्षधरता ने एकबार फिर ‘यू’ टर्न ले लिया।
बाबा साहेब अंबेडकर के बाद कोई ऐसा सगा नहीं है जो दलितों को ठगा नहीं है। रामविलास, उदितराज की सूची में आप भी आएंगे आशंका थी पर इतनी जल्दी? ऐसी उम्मीद न थी.! गाँव-जवार में बच्चों के लिए ट्रेक्टर पर लिखा होता है ‘लटकला तो गेला बेटा’ । मांझी जी आप लटक गए हैं। अभी भी ज्यादा समय नहीं हुआ है। उतर जाइए। वैसे भी आप उतरते – चढ़ते रहे हैं। एक बार दबे- कुचले के भविष्य के लिए बीजेपी और संघ के रथ से उतारिए।वर्तमान का मोह छोड़िए और भविष्य के प्रकाश को देखिए।
अगर आप दलितों पिछड़ों में चेतना का अलख जगा पाये तो इतिहास आपको फुले, पेरियार और अंबेडकर की कोटि में रखेगा। नहीं तो मोहरा से ज्यादा कुछ नहीं मानेगा. अपने बल बूते चुनाव लड़कर आप हार भी जाते हैं तो बीजेपी के साथ के रहकर जीतने से ज्यादा गौरव की बात है। आपको तय करना हैं कि आपकी मंजिल क्या हैं ?
आपका शुभचिंतक
दीपक चौरसिया
लखीसराय, बिहार