मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने एक अप्रत्याशित दांव चलते हुए इस्तीफा दे दिया है. मांझी ने यह इस्तीफा सदन में विश्वास मत प्राप्त करने से पहले देकर भाजपा को भी गच्चा दे दिया है.
भाजपा ने कल रात ही मांझी को हिमायत देने का फैसला किया. मांझी के इस कदम से भाजपा भौचक हो गयी है क्योंकि पिछले 15 दिनों से हिमायत करने पर खामोश रही भाजपा ने कल अचानक मांझी को सदन में वोट देने का फैसला किया. इस बीच मांझी के इस्तीफे के बाद भाजपा नेता देवेश चंद्र ठाकुर ने कहा कि हमें समझ नहीं आ रहा कि उन्हों ने किन हालात में इस्तीफा दिया.
इसबीच राज्यपाल ने मांझी से कहा है कि नयी सरकार बनने तक वह मुख्यमंत्री के पद पर बने रहें. दूसरी तरफ नीतीश कुमार ने मांजी के इस्तीफे के बाद कहा कि भाजपा का पर्दाफाश हो गया है. वहीं लालू प्रसाद ने मांझी से अपील की है कि वह भाजपा के जाल में न फंसें और राजद-जद यू के संग मिल कर काम करें.
मांझी का यह कदम एक जबर्दस्त सियासी दांव के रूप में माना जा रहा है. मांझी ने ऐसा करके सबसे बड़ी चुनौती भाजपा के सामने पेश कर दी है. दर असल भाजपा को पहले से इसका आभास रहा कि मांझी जब नीतीश कुमार को गच्चा दे सकते हैं तो वह भाजपा को भी नहीं बख्श सकते, लेकिन भाजपा अंत अंत में मांझी के दांव में उलझ गयी और जब उसने रात में मांझी के पक्ष में वोट देने का ऐलान किया तो सुबह होते ही नजरा बदल गया.
मांझी ने भाजपा से मदद न लेकर ब एक वक्त खुद को साम्प्रदायिक शक्तियों से अलग हो कर शहीद हो जाने की रणनीति अपनायी तो दूसरी तरफ यह खुद नीतीश कुमार और राज के लिए भी बड़ी चुनौती हो सकती है क्यों कि कल अगर मांझी नयी पार्टी बना लेते हैं और चुनावी मैदान में जाते हैं तो वह सेक्युलर वोटों को अपने पक्ष में करने की दावेदारी पेश कर सकते हैं.
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