भले ही कुछ लोग मुख्यमंत्री मांझी की एससी अफसरों के संग हुई इस बैठक का जो नाम दे लें पर इस बैठक का प्रभाव होगा बहुत गहरा. प्रशासनिक स्तर पर भी और राजनीतिक रूप से भी.
सम्पादकीय डेस्क
खबर है कि बीते रविवार को मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने एसएसी कटेगरी के अफसरों और कर्मियों की पटना में एक बैठक बुलायी. इस बैठक में मीडिया को औपचारिक रूपसे नहीं बुलाया गया. इसलिए इसे कुछ लोगों ने गुप्त बैठक करार दिया. भले ही इस तरह की बैठक की आलोचना की जाये पर यह बैठक असरकारी होंगे, इसमें दो राय नहीं है. इसके असरकारी होने के दो महत्वपूर्ण पहलू हैं.
एक– एससी कटेगरी के अफसरों और कर्मियों की यह हमेशा शिकायत रही है कि उनके संग भेदभाव बरता जाता है. उनके प्रमोशन में रोड़े अटकाये जाते हैं. उनका दोहन किया जाता है. कई तरह के मुकदमों में फंसाया जाता है. इन सब बातों को अगर मद्देनजर रखें तो मांझी उन कर्मियों की समस्याओ से डायरेक्ट रू ब रू हुए. जाहिर है उन्होंने ऐसी समस्याओं के हल के लिए आश्वासन भी दिये. मांझी की इस व्यवहार कुशलता से अफसरों-कर्मियों में आत्मविश्वास बढ़ा होगा.
दूसरा यह राजनीतिक रूप से भी मांझी के लिए फायदामंद साबित होगा. इस बैठक से जब अफसरों-कर्मियों में आत्मविश्वास और मांझी के प्रति लगाव बढ़ेगा तो इसका राजनीतिक लाभ यकीनन मांझी को होगा. उनके लिए एक कैडर निर्माण होगा.
यह बैठक एक आलीशान होटल में बुलायी गयी. उम्मीद की गयी कि इसमें कोई दो सौ लोग शिरकत करेंगे. पर बताने वाले बता रहे हैं कि इसमें चार सौ से ज्यादा लोग पहुंच गये. खाने-पीने में भी अफरा तफरी हुई.
बैठक के दूसरे दिन जब पत्रकारों ने इसपर मांझी को घेरना चाहा तो उन्होंने दो टूक कहा “जब नीतीश कुमार ने ऐसी बैठक की तो किसी ने सवाल नहीं उठाया लेकिन जब मैंने की तो मीडिया के लोग सवाल उठा रहे हैं. आखिर मीडिया के लोग चाहते क्या हैं”.
मांझी ने कहा कि बैठक में आरक्षण, पदोन्नति और पदस्थापन में गड़बड़ी की समस्याएं उठीं। अफसरों को उनकी समस्याओं के समाधान का भरोसा दिलाया। तो क्या इसे आप सबको बता देते.
मालूम हो कि मांझी इस तरह की बैठकें करते रहे हैं.