मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी की कुर्सी का ‘ललन ग्रह’ टल गया है। राजद प्रमुख लालू यादव और जदयू नेता नीतीश कुमार ने साफ-साफ कह दिया है कि जीतनराम मांझी की कुर्सी को कोई खतरा नहीं है और वह अपनी जगह पर कायम रहेंगे। लालू और नीतीश के अभयदान के बाद सीएम ने राहत की सांस ली होगी। हालांकि माना जा रहा है कि मांझी के खिलाफ संकट उनके ही मंत्री ललन सिंह ने खड़ा किया था। राजनीतिक गलियारे में यह भी चर्चा है कि संकट की पटकथा भी सात सर्कुलर रोड (नीतीश कुमार का सरकारी आवास) में लिखी गयी थी।
वीरेंद्र यादव
प्राप्त जानकारी के अनुसार, मांझी सरकार के मंत्री और नीतीश कुमार के करीबी ललन सिंह ने जदयू के दो प्रवक्ताओं नीरज कुमार और अजय आलोक के माध्यम से मांझी और उनके मंत्रियों पर नकेल कसने की कवायद शुरू की। ललन सिंह के कहने पर ही नीरज कुमार (ललन सिंह के स्वजातीय) ने सीएम को नसीहत दे दी तो अजय आलोक ( कैमूर में भाजपा के टिकट से चुनाव लड़ने की तैयारी में) ने तीन मंत्रियों को भाजपा में चले जाने की सलाह थमा दी। बात इतने पर नहीं थमी, बल्कि पार्टी में विवाद गहराने के बाद भी ये दोनों प्रवक्ता अमर्यादित बयान देते रहे।
मुख्यमंत्री मांझी स्वयं कई बार कह चुके हैं कि मंत्री उनकी बात नहीं सुनते हैं। सीएम ने उन मंत्रियों के नाम नहीं लिए हैं, लेकिन माना जा रहा है कि एक जाति विशेष के मंत्री ही मुख्यमंत्री को अपमानित करवाते रहे हैं। साधु यादव के घर चूड़ा-दही के बहाने जिस तरह से मांझी के खिलाफ अभियान चलाया गया, उसकी जड़ में मंत्री ललन सिंह ही माने जा रहे हैं। जदयू के नेता और मांझी के मंत्री भी दबी जुबान से ललन सिंह का नाम लेते हैं, लेकिन खुलेआम कोई बोलने को तैयार नहीं है। क्योंकि ललन सिंह की नाराजगी का खामियाजा नीतीश की नाराजगी के रूप में भुगतना पड़ सकता है। खैर, फिलहाल ‘ललन ग्रह’ का असर समाप्त हो गया है, लेकिन बिहार के राजनीतिक गलियारे में कई और ‘ग्रह’ मांझी को अपने प्रकोप में लेने के तैयार बैठे हैं। इससे मांझी को सचेत रहने की जरूरत है।
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