पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी की फेसबुक रैली इस मायने में सफल मानी जाएगी कि इसमें काफी भीड़ भी थी। रैली से लौट रहे युवकों ने बताया कि सौ-सवा सौ की भीड़ रही होगी। सभी फेसबुक पर सक्रिय युवक थे। युवतियों की संख्या को नजरअंदाजन नहीं किया जा सकता है। श्री मांझी ने आज फेसबुक फ्रेंड्स के लिए टी पार्टी का आयोजन किया था।
वीरेंद्र यादव
राष्ट्रपति की यात्रा को लेकर सीएम हाउस के आसपास सुरक्षा का पुख्ता इंतजाम था। सर्कुलर रोड वाले गेट के तरह से आम लोगों का प्रवेश बंद था और राजभवन की ओर वाली सड़क पर पहुंचना संभव नहीं था। इस कारण हम सीएम हाउस में आयोजित फेसबुक रैली में नहीं पहुंच पाए थे। राष्ट्रपति के पटना छोड़ने के बाद यातायात बहाल हुआ तो हम राजभवन की ओर वाले गेट पर आए। सुरक्षा प्रहरियों ने बताया कि अब बैठक खत्म हो गयी है और लोगों का जाना संभव नहीं है। तब तक लोग सीएम हाउस से बाहर निकलने लगे थे।
हमने बाहर निकल रहे लोगों से बातचीत शुरू की। दो स्मार्ट युवक बाहर निकले। हमने उनसे पूछा- आप रैली से आ रहे हैं। उन्होंने हामी भरी। हमने तुरंत पूछा- आप किस जाति के हैं। उन्होंने कहा- भूमिहार। मैंने विस्मयपूर्वक पूछा- आप फेसबुक रैली में। उन्होंने कहा कि महाचंद्र बाबू का आदेश था। उन्होंने यह भी कहा कि महाचंद्र बाबू के कहने पर काफी लोग आए थे।
गायब रहा थॉट आफ मांझी
इसी क्रम में पत्रकार एचएल दुसाध भी मिल गए। उन्होंने भी इस रैली को सार्थक बताया। हमने पूछा- इसमें कितने दलित-महादलित होंगे। उन्होंने कहा कि उनकी संख्या कम ही होगी। फिर एक अन्य प्रतिभागी से पूछा – मुद्दा क्या था। उन्होंने कहा- गरीब। फिर हमने पूछा- फेसबुक पर टहलने वाले कितने गरीब होंगे। वह चुप हो गए। इसी क्रम में श्रवण पासवान ने शिकायत की कि जब हमने मांझी के स्टैंड, दलित के मुद्दों और भावी रणनीति के बारे में पूछा तो पूर्व सीएम ने कहा कि आप ऊंची आवाज में बात करके हमें प्रभावित करना चाहते हैं। श्री पासवान ने जोडा- मांझी को महांचद्र सिंह, नरेंद्र सिंह की बात ऊंची आवाज में नहीं लगती है और श्रवण पासवान की बात ऊंची आवाज में लगती है। रैली से निकले लोगों ने बताया कि टी विद मांझी, टॉक विद मांझी, स्नैप विद मांझी का कंसेप्ट काफी सफल रहा, लेकिन थॉट आफ मांझी, विजन आफ मांझी और स्ट्रैटेजी आफ मांझी कहीं नजर नहीं आया।
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