मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने नीतीश कुमार को साफ-साफ संकेत दे दिया है कि आपके दिन लद गए हैं। अब आप सीएम बनने के सपने ही देख सकते हैं, लेकिन बनना संभव नहीं है। सीएम मांझी खुलेआम कहते हैं कि उनका दिल चाहता है कि अगला सीएम दलित समाज का ही हो। यानी नीतीश का नाम सिर्फ राजनीतिक मर्यादाओं के लिए लेते हैं। इससे नीतीश कुमार सकते में आ गए हैं।
इसके साथ ही नीतीश कुमार के करीबी रहे मंत्री ललन सिंह और पीके शाही को भी सीएम ने साफ-साफ शब्दों में कहा वे दोनों विभागों के कामों से संतुष्ट नहीं हैं। अधिकारियों के तबादले पर उठाए गए सवाल पर सीएम ने स्पष्ट कर दिया कि स्थानांतरण उनका विशेषाधिकार है। अपने इसी अधिकार के तहत तैनात अफसर (प्रधान सचिव) को बदल दिया गया। तबादले का एक मात्र मकसद काम की गति को तेज बनाना है। मुख्यमंत्री ने पत्रकारों से कहा कि आप लोग कह सकते हैं कि मैं वहां के काम से संतुष्ट नहीं हूं। इस सवाल पर कि अफसर को बदलने के बाद क्या मंत्री को भी हटाया जाएगा, मुख्यमंत्री ने कहा कि मंत्री को हटाने के लिए मुझे आप लोगों (मीडिया) से पूछना नहीं पड़ेगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि पथ निर्माण मंत्री राजीव रंजन सिंह ललन और योजना मंत्री प्रशांत कुमार शाही को अफसरों के तबादले के संबंध में नियमों की जानकारी नहीं थी। इसी वजह से दोनों मंत्रियों ने मुख्य सचिव को पत्र लिख दिया। वर्ष 2007 में ही नियम बन गया था कि समय पूर्व तबादलों के लिए मुख्यमंत्री अधिकृत होंगे। इसी नियम के आधार पर 2008, 2009 और उसके बाद भी अफसरों के तबादले होते रहे। इसका मकसद सिर्फ काम का बेहतर परिणाम हासिल करना था।
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