नीतीश कैबिनेट ने मांझी सरकार के 10, 18 और 19 फरवरी की कैबिनेट के निर्णयों को स्थगित रखने का फैसला लिया है। राज्य कैबिनेट की बैठक में इस आशय का प्रसताव पारित गया। इसमें कहा गया है कि 10, 18 और 19 फरवरी की कैबिनेट की बैठक में अन्यान्य के रूप में लिए गए निर्णय को सरकार फिर से कैबिनेट के समक्ष लाएगी।
माना यह जा रहा है कि सरकार ने मांझी कैबिनेट की अंतिम तीन बैठकों के कुछ को छोड़कर तमाम फैसलों को रद्द दिया है। हालांकि सरकार ने आश्वासन दिया है कि इन निर्णयों पर विचार कर उचित प्रक्रिया के तहत फिर से उन्हें कैबिनेट में लाया जाएगा। राम बालक महतो को हटाकर विनय कुमार कंठ को नया महाधिवक्ता बनाने के मांझी सरकार के फैसलों को सरकार पहले ही रद्द कर चुकी है। मांझी सरकार के फैसलों में स्कूली छात्रों को विभिन्न योजनाओं के तहत मिलने वाली राशि के लिए 75 फीसदी अनिवार्यता को घटाकर सामान्य वर्ग के लिए 60 और आरक्षित वर्ग के लिए 55 फीसदी करने, आर्थिक रूप से कमजोर सवर्णों को सरकारी नौकरी में आरक्षण देने के लिए तीन सदस्यीय कमेटी बनाने के फैसले शामिल थे।
इसके साथ ही सरकारी नौकरी में महिलाओं को 35 फीसदी आरक्षण, नियोजित शिक्षकों को वेतनमान के लिए उच्चस्तरीय कमेटी का गठन करने, सिपाही से लेकर इंस्पेक्टर तक को अब साल में 13 महीने का वेतन देने, किसान सलाहकारों का मानदेय बढ़ाने जैसे निर्णय लिए गए थे। इसमें से अधिकांश निर्णय सामाजिक समीकरणों के हिसाब से लिए गए थे। इस कारण सरकार सभी फैसलों को रद्द कर नाराजगी नहीं उठाना चाहती है। इसलिए सरकार ने कहा है कि इन फैसलों पर विचार कर आवश्यकता हुआ तो फिर उन्हें कैबिनेट में ला जाएगा। इसके लिए विहित प्रक्रिया का पालन किया जाएगा।
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