मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी आज मीडिया की रिपोर्टिंग को लेकर काफी गुस्से में थे। सीएम बनने के बाद से ही अपने विवादास्पद बयानों और उससे पलट जाने वाले मांझी पत्रकारों पर ही बरस पड़े। जनता दरबार के बाद ‘मीडिया दरबार में मुख्यमंत्री’ कार्यक्रम में विवादास्पद बयानों को लेकर पूछे गए सवाल पर उन्होंने कहा कि यह आप सब मनुवादी मानसिकता के हैं। बातों को संदर्भ से काटकर दिखाते और छापते हैं। बात को बतंगड़ बना देते हैं। भावना को समझते नहीं हैं। आप लोग अपनी आदत से बाज नहीं आएंगे। यह मनुवादी सोच का नतीजा है।
बिहार ब्यूरो प्रमुख
मुख्यमंत्री ने अपने दो-तीन बयानों का उदाहरण देते हुए कहा कि हम लोगों को जो संदेश देना चाहते हैं, आपलोग उसका उल्टा अर्थ निकालते हैं। आप लोग मनुवादी सोच व सामंती मानसिकता से निकलिए। खबरों को खबर की तरह सही संदर्भ में दिखाइए और प्रकाशित कीजिए। इस बीच एक पत्रकार ने पूछा कि आपकी पार्टी और सरकार में मनुवादी मानसिकता के लोग हैं या नहीं। इस सवाल पर मुख्यमंत्री के बगल में बैठे मंत्री नरेंद्र सिंह और पीके शाही सकते में आ गए। वे बीच-बचाव की मुद्रा में आ गए। तब तक मांझी ने खुद स्थिति पर काबू पाया और कहा कि हमारी पार्टी और सरकार में मुनवादी व सामंती मानसिकता व सोच के लोग नहीं है।
यहां सब को बराबर मान-सम्मान मिलता है। नीतीश जी ने मुझ जैसे व्यक्ति को सीएम बनाया। वह हमें दिल्ली भेजना चाहते थे। मौका आया तो उन्होंने हमें उत्तराधिकारी बनाया। नीतीश जी हमारे कार्यों की प्रशंसा भी करते हैं। इस दौरान मुख्यमंत्री ने सुशील कुमार मोदी पर भी हमला किया और कहा कि उनको छपास का रोग हो गया है। छपने के लिए कुछ भी बोलते रहते हैं। विपक्ष में हैं, बोलने से रोक भी नहीं सकते हैं।
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