विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव अपने जनाधार को मजबूत करने के लिए यात्रा पर निकले हैं। यात्रा का नाम रखा है संविधान बचाओ न्याय यात्रा। अभी सीमांचल की यात्रा पर हैं। भौगोलिक और सामाजिक समीकरण की लिहाज से महत्वपूर्ण है। इस इलाके में 2014 में नरेंद्र मोदी की लहर में भी भाजपा का खाता नहीं खुल पाया था।
वीरेंद्र यादव
तेजस्वी यादव पहली बार राजद प्रमुख लालू यादव या पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी की छाया से मुक्त होकर अपनी पहचान को नये सिरे से गढ़ना चाहते हैं। पिछले साल जुलाई महीने में सत्ता से मुक्त होने के बाद यात्रा के माध्यम से लोगों से जुड़ने का प्रयास कर रहे हैं। सत्ता से हटने के बाद से ही तेजस्वी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को लेकर आक्रामक रहे हैं। भाषा में तीखापन है और तेवर भी धारदार। नीतीश कुमार पर हमला कर तेजस्वी नीतीश और भाजपा विरोधी वोटों को गोलबंद करना चाहते हैं।
नेता प्रतिपक्ष माई (यादव-मुसलमान समीकरण) का आंचल फैलाने चाहते हैं ताकि दूसरी जातीय व वोट समूह को राजद के साथ जोड़ा जा सके। लेकिन उन वर्गों को जोड़ने का एजेंडा इनके पास नहीं है। नीतीश के खिलाफ आक्रामक भाषा और आरोप से ‘माई की आत्मा’ भले संतुष्ट हो, लेकिन अन्य जातीय व वोट समूह को जोड़़ने में कारगर नहीं हो रहा है। संविधान बचाने का राग निरर्थक ही जा रहा है।
सत्ता में हिस्सेदारी का भाव ही भावनात्मक रूप से जातीय समूहों को जोड़ने में सहायक होता है। इस मोर्चे पर तेजस्वी का कोई प्रयास नहीं दिख रहा है। इसके लिए कोई एजेंडा तेजस्वी के पास नहीं है। तेजस्वी को नीतीश और भाजपा विरोध से आगे बढ़कर नये जातीय समूह के सकारात्मक मुद्दों की बात भी करनी होगी, उनकी भावनाओं का सम्मान करना होगा, अन्यथा फैले हुए आंचल भी बहुत कुछ आने की उम्मीद निरर्थक ही रहेगी।