पैगम्बर मोहम्मद साहब हमेशा शांति और हर किसी के जीवन की रक्षा के लिए प्रयत्नशील रहे. ऐसे मुद्दों पर उनके लिए यह बात कत्तई अहम नहीं थी कि वह इंसान उनका अनुयायी है या नहीं. जीवन की रक्षा का मामला जब भी पेश आता वह इंसानियत को पहले प्राथमिकता देते थे.
इस संबंध में उनकी स्पष्ट मान्यता यह थी कि शांति कायम रखने वालों पर अल्लाह की खास रहमत होती है.
पैगम्बर साहब के इस व्यवहार को कुरान व हदीस में भी उल्लेखित किया गया है. अल्लाह इंसाफ व भलाई को पसंद करता है और वह बुराई, अतिवाद से तुम्हे रोकता है और हिदायत देता है कि तुम इस मामले में सावधान रहो.(16:90)
और खुद को अल्लाह के रास्ते पर रखो और तबाही के रास्ते से खुद को रोको और अपने अंदर आध्यात्मिक खूबियां विकसित करो. अल्लाह ऐसी खूबियों वालों को पसंद करता है. ( 2:195)
इस संबंध में हमने साफ कर दिया है कि इस जमीन पर खलफसार पैदा करने के लिए जो कोई भी अगर एक इंसान का कत्ल करता है तो यह पूरी इंसानियत का कत्ल है और अगर कोई किसी शख्स की जान बचाता है तो गोया वह पूरी इंसानियत को बचाता है. हमारा यह संदेश उन लोगों के लिए प्रमाणिक निशानी है. (8:32)
अहमद बिन हम्बल ने अलमुसांद में लिखा है कि- उनके लिए जहन्नुम की आग से निजात है जो इंसानों को अपना दोस्त समझता है.
ऐ आईशा अल्लाह दयावान है और वह दया को पसंद करता है. और वह इसका अजर देता है.( मुस्लिम शरीफ)
ईमान वालों में से सबसे बेहतर वह है जो नैतिक रूप से बेहतर हो और औरतों के प्रति दयावान हो. एक सच्चा ईमान वाला वह शख्स है जिस पर लोग ऐत्बार करते हैं.
एक दयावान इंसान वह है जो दूसरों के प्रति भी दयाभाव रखता है इसलिए जमीन पर रहने वालों के साथ दयाभाव रखो.( अबुदाऊद तिरमिदी)
सर्वशक्तिमान अल्लाह ने मुझ पर यह जाहिर कर दिया है कि तुम्हें विनम्र होना चाहिए किसी को भी अपने पड़ोसी को पीड़ा नहीं पहुंचाना चाहिए.
ऐ अल्लाह के पैगम्बर कैसा इस्लाम सबसे बेहतर है? पैगम्बर सल्ललाहो ऐलेहे सल्लम ने जवाब दिया. इस्लाम का वह रूप सबसे बेहतर है जिसमें एक शख्स के हाथ और उसकी जुबान से दूसरा शख्स बिल्कुल महफूज हो.
ऊपर जो कथन दिये गये हैं उनसे यह साफ हो जाता है कि इस्लाम शांति, भाईचारा और इंसानियत का मजहब है.